ट्रेन हाईजैकः अबतक 104 यात्री बचाए गए, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

क्वेटा : पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने जिस पैसेंजर ट्रेन जफर एक्सप्रेस पर हमला कर यात्रियों को बंधक बनाया था, उसके लिए चलाए गए सेना के बचाव अभियान के दौरान अभीतक 104 यात्रियों को बचाने और 16 विद्रोहियों को मारने का दावा किया गया है। जबकि बीएलए ने पाकिस्तानी सुरक्षाबल के 30 जवानों को मारने का दावा किया है। बीएलए अपनी मांगों को लेकर अड़ा हुआ है। ट्रेन के 9 डिब्बों में 400 से ज्यादा यात्री सवार थे।

पाकिस्तानी मीडिया समूह जीयो न्यूज के मुताबिक ट्रेन के बंधकों को छुड़ाने का सेना का अभियान बुधवार को भी जारी है।रेलवे अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि जफर एक्सप्रेस से बचाए गए 57 यात्रियों को बुधवार सुबह क्वेटा पहुंचाया गया। बचाए गए 23 अन्य यात्री मच्छ में हैं। इन बचाए गए यात्रियों में 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं।

बंधकों की रिहाई के किए जा रहे सभी प्रयासः शहबाज शरीफ

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि दुर्गम इलाका होने के बावजूद हमारे सैनिक बड़ी बहादुरी से बंधकों को छुड़ाने में लगे हैं और ये जवान पूरे जोश के साथ बचाव अभियान चला रहे हैं। बंधकों की सुरक्षित रिहाई के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

पाकिस्तान के गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने कहा है कि अपहर्ता जाफर एक्सप्रेस के कई यात्रियों को ट्रेन से उतारकर पहाड़ी इलाके में ले गए हैं।

ट्रेन पर हमला कर यात्रियों को बनाया बंधक

इससे पहले मंगलवार को बीएलए ने मंगलवार को ट्रेन जाफर एक्सप्रेस पर हमला कर उसको अपने कब्जे में ले लिया। विद्रोहियों ने ट्रेन के 214 यात्रियों को बंधक बना लिया। आम यात्रियों के साथ-साथ बंधकों में सेना के जवान, अर्धसैनिक बल, पुलिस और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी शामिल हैं।

क्वेटा से पेशावर जा रही इस 9 कोच वाली ट्रेन में लगभग 500 यात्री सवार थे। हमलावरों ने ट्रेन को एक सुरंग में विस्फोट और गोलीबारी के माध्यम से रोका, जिससे ट्रेन चालक घायल हो गया। बीएलए ने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पाक सेना ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की तो सभी बंधकों को मार दिया जाएगा। फिलहाल यह ट्रेन हाईजैक के बाद सुरंग के पास खड़ी है।

क्या है बीएलए की मांग

बलूचों को पहली और सबसे बड़ी मांग है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान की किसी भी एजेंसी का कोई प्रतिनिधि नहीं होना चाहिए। संगठन का मानना है कि चीन के साथ सीपीईसी प्रोजेक्ट से बलूचिस्तान की खनिज संपदा का लगातार दोहन हो रहा है और इसके चलते बड़ी संख्या में बलूच समुदाय के लोग विस्थापित हुए हैं। बलूच इस प्रोजेक्ट के यहां से हटाने की लगातार मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान की जेलों में बंद अपने साथियों को तत्काल रिहा करने की भी मांग कर रहे हैं। अपनी इन मांगों को लेकर बीएलए पिछले कई सालों से पाकिस्तान पर हमले करता रहा है।

कब हुई बीएलए की स्थापनाभारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय से ही बलूचिस्तान के लोगों का मानना था कि वह स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता चाहता था लेकिन उसे जबर्दस्ती पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। यह असंतोष समय के साथ बढ़ता गया और बलूचिस्तान की आजादी की मांग को लेकर कई संगठनों के बीच बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) सबसे ताकतवर बनकर उभरा। माना जाता है कि 1970 में इस संगठन की नींव पड़ी और जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार खिलाफ बलोचों ने सशस्त्र विद्रोह की शुरुआत कर दी। 26 अगस्त 2006 को पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में बीएलए के प्रमुख नेता रहे बलोचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार अकबर खान बुगती की हत्या ने बीएलए के गुस्से को और भड़का दिया।

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