रांची। झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में इस बार मुकाबला सिर्फ सियासी नहीं है। इस बार यहां विरासत की जंग छिड़ी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने दिवंगत शिक्षा मंत्री और पूर्व विधायक रामदास सोरेन के पुत्र सोमेश सोरेन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को एक बार फिर मैदान में उतारा है। ऐसे में घाटशिला की चुनावी जंग इस बार दो राजनीतिक घरानों की अगली पीढ़ी के बीच सिमट गई है। झामुमो ने बुधवार को अध्यक्ष हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय समिति की बैठक में सोमेश सोरेन के नाम पर मुहर लगाई। पार्टी ने इसे “जनभावनाओं की स्वाभाविक निरंतरता” बताते हुए कहा कि सोमेश अपने पिता के विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर मैदान में हैं। घाटशिला सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित है और झामुमो का इस क्षेत्र में पारंपरिक जनाधार रहा है। दूसरी ओर, भाजपा ने भी भरोसा पुराने चेहरे पर ही जताया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह के हस्ताक्षर से जारी पत्र में बाबूलाल सोरेन के नाम की औपचारिक घोषणा की गई। बाबूलाल ने 2024 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट से किस्मत आजमाई थी, लेकिन झामुमो के रामदास सोरेन से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में रामदास सोरेन को 98,356 जबकि बाबूलाल को 75,910 वोट मिले थे। इस बार चुनावी हवा में स्थानीय मुद्दों के साथ “सोरेन बनाम सोरेन” की चर्चा सबसे प्रमुख है। झामुमो इसे अपने नेता की विरासत बढ़ाने की लड़ाई बताएगा तो भाजपा बदलाव का नारा लेकर मैदान में आएगी।