रांची – छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (सीएनटी) बनने के 117 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मंगलवार को टीआरआई सभागार में आदिवासी मूलवासी प्रोफेसर एसोसिएशन की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस अवसर पर कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि सीएनटी एक्ट झारखंड की आदिवासी समाज के लिए जीता-जागता सुरक्षा कवच है। यदि इस एक्ट को पूरी ईमानदारी के साथ लागू किया जाए, तो कोई भी आदिवासी परिवार अपनी जमीन नहीं खोएगा। इसे कोई नहीं छीन सकेेेेगा। उन्होंने कहा कि यह कानून हमारी जमीन, समाज और संस्कृति को सुरक्षित रखने में कानूनी मदद प्रदान करता है।मौके पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी के राजू ने कहा कि सीएनटी एक्ट का उद्देश्य आदिवासी परिवारों और उनकी जमीन की रक्षा करना है, लेकिन व्यावहारिक रूप से इसका लाभ गैर-आदिवासियों को मिला। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने पेसा कानून को लागू करने की तैयारी कर ली है, जिससे परंपरागत ग्राम सभाओं को अधिकार प्राप्त होंगे। सीएनटी और पेसा दोनों ही झारखंड की बड़ी आबादी के हित में हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में भी जल–जंगल–जमीन की सुरक्षा का स्पष्ट उल्लेख है।मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता पाण्डेय रवीन्द्रनाथ राय ने सीएनटी एक्ट के प्रावधानों और जमीन संरक्षण के उपायों पर विस्तार से चर्चा की।पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासी समाज के पास अपनी जमीन बचाने के लिए सबसे बड़ा कानूनी हथियार है, लेकिन लोग इससे अनभिज्ञ हैं।पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि रांची के कई इलाके जो पहले आदिवासी बहुल थे, अब वहां उनकी आबादी घट रही है।कार्यशाला में विधायक राजेश कच्छप, विधायक नमन विक्सल कोनगाड़ी, सुभाशीष सोरेन, प्रो रामचंद्र उरांव, दयामनी बारला, रतन तिर्की सहित अन्य मौजूद थे।
