झारखंड उच्च न्यायालय ने की आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की याचिका खारिज

रांची : झारखंड उच्च न्यायालय ने आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की याचिका खारिज कर दी है। अब मनी लाउंड्रिंग के आरोप में बिना अभियोजन स्वीकृति भी उनके खिलाफ ट्रायल चलेगा। न्यायाधीश अंबुज नाथ की अदालत ने पूजा सिंघल की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद इससे संबंधित आदेश सोमवार को दिया है।जानकारी के मुताबिक पूजा सिंघल ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर आरोप पत्र (प्रोसीक्यूरशन कंप्लेलन) के आधार पर पीएलएमए कोर्ट की ओर से लिये गये संज्ञान को चुनौती दी थी। पूजा सिंघल की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र पर ट्रायल कोर्ट ने बिना अभियोजन स्वीकृति के ही संज्ञान लिया है। नियमानुसार इस मामले में सरकार से सीआरपीसी की धारा 197 के तहत अभियोजन स्वीकृति लेने के बाद ही ट्रायर कोर्ट संज्ञान लेने के बाद आगे की कार्रवाई कर सकता है। ईडी कोर्ट की ओर से मामले में बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान लेना कानून सही नहीं है। इसलिए न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करे और पीएलएमए कोर्ट की ओर से 19 जुलाई 2022 को लिये गये संज्ञान के आदेश को रद्द करे।अभियोजन स्वीकृति का प्रावधान किया गयावहीं मामले में ईडी की ओर इस दलील का विरोध करते हुए कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सरकारी अधिकारियों के सुरक्षा देने के लिए अभियोजन स्वीकृति का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य सरकारी अधिकारी को सरकारी कामकाज के दौरान किसी की ओर से गलत तरीके से फंसा कर परेशान करने से सुरक्षा देना है।सीआरपीसी के इस प्रावधान का इस्तेमाल किसी अधिकारी को भ्रष्टाचार के मामले में सुरक्षा देने के लिए नहीं किया जा सकता है। पूजा सिंघल के मामले में जांच के दौरान बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का मामला पाया गया है। इसलिए मनी लाउंड्रिंग के आरोप के मामले में मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति की जरूरत नहीं है।उच्च न्यायालय ने पूजा सिंघल की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद 13 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए पूजा सिंघल की याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति किसी भी वक्त ली जा सकती है। ट्रायल कोर्ट की ओर से बिना अभियोजन स्वीकृति के संज्ञान लेना कानून गलत नहीं है।

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