बेगूसराय: 33 साल पुराने एक विवादित मामले में बेगूसराय एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाया। यह मामला 9 अक्टूबर 1992 का है, जब मोम फैक्ट्री में हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान पुलिस टीम पर फायरिंग हुई थी। कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को धारा 353 के तहत 1 वर्ष की सजा सुनाई, जबकि भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष रामलखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को जानलेवा हमला, सरकारी काम में बाधा और शस्त्र अधिनियम की धाराओं में 4-4 वर्ष की सजा दी।
सूरजभान सिंह को 1 साल की सजा के कारण जमानत मिल गई, लेकिन रामलखन सिंह और वीरेंद्र ईश्वर को जेल भेजा गया। जेल में रामलखन सिंह की तबियत बिगड़ने पर उन्हें देर रात सदर अस्पताल बेगूसराय में भर्ती कर आईसीयू में रखा गया।
यह मामला बरौनी थाना कांड संख्या 406/92 से जुड़ा है, जिसमें रामलखन सिंह स्वयं पहले अपराधियों और पुलिस के गठजोड़ से हमले का शिकार थे, लेकिन बाद में उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ। भाजपा कार्यकर्ता इसे राजनीतिक संघर्ष का दुर्भाग्यपूर्ण अध्याय मानते हैं। रामलखन सिंह का राजनीति में लंबा संघर्ष रहा है, उन्होंने कई चुनाव लड़े और दो बार भाजपा के जिला अध्यक्ष तथा प्रदेश मंत्री पद पर काम किया।
मामले में दर्ज गवाहों और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया। इस फैसले ने राजनीतिक और कानूनी दोनों ही स्तर पर चर्चा छेड़ दी है।