रांची। झारखंड की राजनीति इन दिनों नई तरह की चर्चाओं से सरगर्म है। मौजूदा समय में राज्य में JMM, कांग्रेस, RJD और वामपंथी दलों का गठबंधन 56 सीटों के बहुमत के साथ सरकार चला रहा है, लेकिन सियासी गलियारों में अचानक JMM और BJP के बीच संभावित नजदीकियों की चर्चा तेज हो गई है। हालांकि आधिकारिक स्तर पर कोई पुष्टि नहीं है, लेकिन यदि ऐसा होता है तो यह झारखंड की राजनीति में सबसे बड़ा उलटफेर साबित हो सकता है। वर्तमान संख्या बल स्थिर, INDIA ब्लॉक के पास सुरक्षित बहुमत दिसंबर 2025 के अनुसार झारखंड विधानसभा में संख्या बल निम्न है— JMM – 34 सीट कांग्रेस – 17 सीट RJD – 4 सीट CPI(ML) – 1 सीट कुल – 56 सीट (सत्ता पक्ष) वहीं विपक्ष में— BJP – 21 सीट AJSU – 1 सीट JD(U) – 1 सीट LJP(RV) – 1 सीट कुल – 24 सीट, जबकि एक सीट JLKKM के पास है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान संख्या बल में हाल तक कोई बदलाव नहीं दर्ज किया गया है। अगर JMM–BJP आए साथ, तो क्या होगा नया समीकरण? राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक JMM और BJP का साथ आना बेहद अप्रत्याशित कदम होगा, खासकर तब जब हेमंत सोरेन और BJP के बीच 2024–25 में तीखी राजनीतिक और कानूनी लड़ाई चली थी। इसके बावजूद एक काल्पनिक राजनीतिक समीकरण यह तस्वीर दिखाता है— JMM (34) + BJP (21) = 55 सीटें AJSU, LJP और JD(U) की 1–1 सीट जोड़कर संख्या 58 सीट तक पहुंच सकती है इस स्थिति में सत्ता का पूरा ढांचा उलट सकता है और कांग्रेस–RJD गठबंधन के टूटने की आशंका भी गहरी हो जाएगी। विपक्ष मात्र 22 सीटों तक सिमट जाएगा और पूरे राज्य की सामाजिक–राजनीतिक धाराएं प्रभावित होंगी, खासतौर पर आदिवासी बनाम गैर–आदिवासी राजनीति में तेज ध्रुवीकरण संभव है। अस्थिरता का मॉडल 2010 से 2014 के बीच JMM–BJP की सरकारों में कई बार समर्थन वापसी और सत्ता परिवर्तन हुए थे, जिसके कारण यह गठबंधन मॉडल राजनीतिक रूप से अस्थिर माना जाता है। मौजूदा समय में हेमंत सोरेन नेतृत्व वाली सरकार मजबूत दिख रही है और BJP विपक्ष में रहकर संगठन विस्तार की रणनीति पर चल रही है। ऐसे में यह समीकरण अभी भी “बहुत कम संभावना” वाली स्थिति माना जा रहा है। हालात जो भी हो फिलहाल न तो JMM, न BJP और न ही अन्य किसी सहयोगी दल की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने आया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि कोई बड़ा राजनीतिक कदम होता है, तो उसके संकेत शक्ति परीक्षण, उपचुनाव या नेतृत्व स्तर के अचानक फैसलों से मिलेंगे। तब तक यह चर्चा सिर्फ सियासी अनुमान ही बनी रहेगी।
