रांची । रांची के डोरंडा के रहने वाले दीपक कुमार ने निलंबित आईएएस विनय चौबे और अपने पूर्व व्यावसायिक पार्टनर विनय सिंह पर आपराधिक षड्यंत्र, जालसाजी, धमकी और करोड़ों के व्यापार को हड़पने का आरोप लगाया है। इसको लेकर दीपक कुमार ने रांची जगन्नाथपुर थाना में गुरुवार को मामला दर्ज कराया है।
थाना प्रभारी दिग्विजय सिंह ने बताया कि मामला दर्ज किया गया है। पूरे मामले की जांच की जा रही है।
शिकायतकर्ता दीपक कुमार ने निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे और अपने बिजनेस पार्टनर विनय कुमार सिंह को इस पूरे षड्यंत्र का मुख्य कर्ता-धर्ता बताया है। दीपक कुमार के अनुसार, उन्होंने दिसंबर 2002 में विनय कुमार सिंह के साथ मिलकर नेक्सजेनसॉल्यूशन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाई थी। कंपनी को जल्द ही महिंद्रा एंड महिंद्रा की कैपिटल डीलरशिप मिल गई और पहले ही साल में करोड़ों का टर्नओवर हुआ। दीपक कुमार के अनुसार, विनय कुमार सिंह ने उनका परिचय तत्कालीन आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे से कराया।
दीपक कुमार का आरोप है कि उनके व्यापार और आमदनी की जानकारी मिलने पर आईएएस अधिकारी के मन में लोभ उत्पन्न हुआ और उन्होंने विनय कुमार सिंह के साथ मिलकर पूरे व्यापार पर कब्जा करने की योजना बनाई।
अपने शिकायत में दीपक ने कहा है कि आईएएस विनय कुमार चौबे ने दबाव बनाकर अपने बड़े भाई, मनोज कुमार चौबे (मृत), को दीपक कुमार की दूसरी कंपनी, फोन्ट सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड में जीएम के पद पर नियुक्त कराया।
2006 में, जब आईएएस विनय चौबे अधिकारी पलामू में डीसी थे, फोन्ट सिस्टम्स को पलामू सदर अस्पताल और झारखंड के अन्य जिलों में करोड़ों के उपकरण आपूर्ति का काम मिला था, आरोप है कि इस आमदनी को हड़पने के उद्देश्य से, आरोपितों ने नेक्सजेनसॉल्यूशन कंपनी से दीपक कुमार को बाहर निकालने की साजिश रची। साजिश के तहत, आईएएस विनय कुमार चौबे ने अपने पद का दुरुपयोग कर तत्कालीन सिविल सर्जन, पलामू पर दबाव बनाया और पलामू में दो तथा रांची में एक झूठा आपराधिक मामला दीपक कुमार के विरुद्ध दर्ज करवाया, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।
अपने शिकायत में दीपक कुमार ने कहा है कि 2003 में विनय कुमार सिंह ने विशाल सिंह नामक व्यक्ति को कंपनी में लाकर बिना अनुमति के दीपक कुमार के आधे शेयर ट्रांसफर करने का प्रयास किया और बैंक में अकेले ही हस्ताक्षर पैटर्न बदल दिया।
शिकायतकर्ता द्वारा विरोध किए जाने पर बैंक ने पुराना पैटर्न बहाल किया। वर्ष 2006 में विनय कुमार सिंह पर आरोप है कि उन्होंने दीपक कुमार के जाली हस्ताक्षर बनाकर अपनी पत्नी स्निग्धा सिंह को नेक्सजेन सॉल्यूशन का निदेशक नियुक्त किया और उन्हें बैंक खाते से लेनदेन के लिए अधिकृत कर दिया।
दीपक कुमार का आरोप है कि गिरफ्तारी और मानसिक प्रताड़ना के बाद उन्हें आईएएस विनय कुमार चौबे के दबाव में आकर विनय कुमार सिंह के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना पड़ा।
उसी दिन, कंपनी के खाते से 44 लाख अवैध रूप से स्निग्धा सिंह के निजी खाते में और फिर दीपक कुमार के खाते में ट्रांसफर किए गए। इसके तुरंत बाद आरोपितों ने धमकी और दबाव देकर दीपक कुमार से लोन अदा करने का झूठा आरोप लगाकर, चेक के माध्यम से वही 44 लाख वापस कंपनी के खाते में जमा करवा लिए।
इसी हेराफेरी और दबाव का उपयोग करके, स्निग्धा सिंह ने उनके हिस्से के सभी शेयर खरीद लिए और उन्हें कंपनी से बेदखल कर दिया गया, जबकि उन्हें एग्रीमेंट में लिखा डेढ़ लाख का भुगतान भी नहीं किया गया।
दीपक कुमार का कहना है कि आईएएस अधिकारी विनय चौबे की धमकियों और पूर्व में फर्जी मुकदमे दर्ज कराकर जेल भेजने के डर से वे इतने वर्षों तक चुप्पी साधे रहे।
हाल ही में समाचार पत्रों से शराब घोटाले और जमीन घोटाले में अभियुक्तों (विनय कुमार सिंह और आईएएस विनय कुमार चौबे) के जेल जाने की जानकारी मिलने पर उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जगी, जिसके बाद उन्होंने यह शिकायत दर्ज कराने का साहस जुटाया है ।
