कोयले के कारोबारी मजदूरों को दे रहे लालच, तस्करी में जान गवां रहे ग्रामीण

रामगढ़ : कोयले का अवैध कारोबार हजारीबाग और रामगढ़ के सीमावर्ती इलाके में बड़े पैमाने पर हो रहा है। इस कारोबार में शामिल लोग मजदूरों की जान जोखिम में डालकर अपनी जेबें भर रहे हैं। खाकी, खादी और व्यापारी के गठजोड़ में अगर कोई पीस रहा है, तो वह मजदूर है। कारोबारियों के जरिये मजदूरों को ऐसा लालच दिया जा रहा है कि वे अपनी जान की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। इसका उदाहरण उरीमारी थाना क्षेत्र के लुरुंगा जंगल में हुआ हादसा है। यहां चाल धंसने से दो मजदूरों की हुई मौत ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। हालांकि इस मामले में ग्रामीण और परिजन कानून के शिकंजे से बचने के लिए अपनी जुबान नहीं खोल रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि जिनके घरों के चिराग बुझ गए, अब उनके परिजनों को निवाला कैसे नसीब होगा, यह कह पाना मुश्किल है।

इस पूरे प्रकरण में हजारीबाग एसपी और उरिमारी थाना प्रभारी ने पहले तो ऐसी हादसा की सूचना से ही इनकार किया। बाद में जब लुरुंगा बस्ती के मुखिया और अन्य ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी, तो इस प्रकरण की जांच का राग अलापा गया। इस हादसे को हुए 48 घंटे से अधिक हो चुके हैं। लेकिन अभी तक ना तो पुलिस की जांच प्रक्रिया आगे बढ़ी और ना ही इस मामले में कोई कार्रवाई हो पाई है। हालांकि कानूनी दांव-पेंच में अवैध चाल में कोयला तस्करी करने गए मजदूर भी दोषी माने जाएंगे। शायद इसीलिए परिजन भी खामोश हो गए। लेकिन कोयले का अवैध कारोबार ही उन दो मजदूरों की मौत की वजह बनी है।

शनिवार की शाम हुई इस घटना के बाद पूरी रात ग्रामीण और कोयला तस्कर अवैध चाल से राहुल गंझू और रवि गंझू की लाश निकालने में जुटे रहे, ताकि इस पूरे मामले को रफा दफा किया जा सके। रविवार को उन दोनों की लाश का अंतिम संस्कार किया गया। उरीमारी थाना प्रभारी रामकुमार ने इतना बताया कि पुलिस को इस बात की खबर लगी है कि राहुल और रवि बाइक से शनिवार की शाम कोयल का खनन करने गए थे। इसी दौरान चाल धंसने से उनकी मौत हुई है। अभी तक इस मामले में किसी ने भी लिखित शिकायत नहीं की है।

इस मामले में भाजपा के वरीय नेता और दाडी क्षेत्र के पार्षद सर्वेश सिंह ने पुलिस पर ही बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने प्रेस बयान जारी कर कहा कि राहुल और रवि नामक मजदूर की मौत की वजह कोयले का अवैध कारोबार है। लुरुंगा जंगल में अगर पुलिस इस अवैध कारोबार को पनपने नहीं देती तो शायद उन मजदूरों की जान नहीं जाती। उन्होंने बताया कि इस मामले को रफा दफा करने में भी कोशिश की जा रही है। उन्होंने मजदूरों की मौत पर झारखंड सरकार को भी घेरा है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार में अवैध कारोबारी सक्रिय हैं, जिससे न सिर्फ राजस्व की क्षति हो रही है, बल्कि जिन मजदूरों का भविष्य संवारना चाहिए था, वे अवैध चाल में अपनी जान गवां रहे हैं।

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