पटना : बिहार की राजधानी पटना में बुधवार को 85 साल बाद कांग्रेस की कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक होने जा रही है. यह बैठक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय सदाकत आश्रम में होगी. इस बैठक में पार्टी के शीर्ष नेता आगामी विधानसभा चुनाव पर चर्चा करेंगे और वोट चोरी के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की रणनीति तय करेंगे. इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और कई अन्य नेता शामिल होंगे. इसके अलावा पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, पार्टी राज्य इकाइयों के अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता भी भाग लेंगे. जानकारी के मुताबिक प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी इस बैठक में शामिल नहीं होंगी.कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी इस बैठक को संबोधित करेंगे. बैठक संपन्न होने के बाद राहुल गांधी विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री का चेहरा और सीटों के बंटवारे से जुड़े विवादों को सुलझाने की पहल करेंगे. इसके लिए होटल चाणक्य में बैठक रखी गई है. बाद में राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव संयुक्त संवाददाता सम्मेलन भी कर सकते हैं.पटना में 85 साल बाद कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी बैठक हो रही है. इससे पहले 1912, 1922 और 1940 में हो चुकी है. आजादी के बाद यह पहली बार है जब यहां सीडब्ल्यूसी की बैठक हो रही है. बैठक में भाग लेने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे मंगलवार को पटना पहुंच गए हैं. खरगे के साथ कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल भी बैठक में हिस्सा लेने पटना पहुंच चुके हैं.कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अपने एक बयान में कहा कि कांग्रेस की यह बैठक ऐतिहासिक राज्य और ऐतिहासिक शहर में होने जा रही है. इसीलिए इस बैठक में जो भी निर्णय लिए जाएंगे, वे भी ऐतिहासिक ही होंगे. वहीं बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजेश कुमार राम ने कार्य समिति की बैठक को एक ऐतिहासिक घटना बताते हुए कहा है कि आजादी के बाद बिहार में पहली बार ऐसी बैठक हो रही है.कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए बताया कि 24 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में विस्तारित कांग्रेस कार्य समिति की बैठक पटना में होगी. उन्होंने कहा कि हम इस इस ऐतिहासिक अवसर के लिए तैयार हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि आज, जब बिहार के लोग एकतरफ आशा की राजनीति, सामाजिक न्याय व विकास और दूसरी तरफ नफरत, हिंसा, बेरोजगारी व संविधान को नष्ट किए जाने के बीच एक दोराहे पर खड़ा है.