421 महिला सुपरवाइजर की नियुक्ति पर हाईकोर्ट की रोक बरकरार, अगली सुनवाई 6 नवंबर को

रांची, झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के बाल कल्याण विभाग में महिला सुपरवाइजर के 421 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक बरकरार रखी है। नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को जस्टिस आनंद सेन की बेंच में हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने दलीलें पेश कीं।
प्रार्थियों की ओर से यह तर्क दिया गया कि जेएसएससी की ओर से सुपरवाइजर के पदों पर नियुक्ति के जारी विज्ञापन में केवल महिलाओं से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, जो संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है, क्योंकि किसी वर्ग को शत-प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वहीं आयोग की ओर से बताया गया कि संबंधित विज्ञापन “महिला कैडर” के पदों के लिए जारी किया गया था, इसलिए इसमें केवल महिलाओं से आवेदन मांगे गए।
जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह पद विशेष रूप से महिला पर्यवेक्षकों (सुपरवाइजरों) के लिए आरक्षित हैं, जिनकी नियुक्ति और पदस्थापना बाल संरक्षण और महिला कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए की जानी हैं।
जेएसएससी ने महिला सुपरवाइजर के 421 पदों पर नियुक्ति के लिए सितंबर 2023 में विज्ञापन जारी किया था। करीब एक साल बाद सितंबर 2024 में इसकी परीक्षा ली गई। इस वर्ष परीक्षा का रिजल्ट भी जारी किया गया। आयोग ने यह कहते हुए कुछ प्रार्थियों को चयन सूची से बाहर कर दिया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता विज्ञापन में निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं है, जबकि सूची से बाहर किए गए और परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि उनके पास मुख्य विषय की जगह सहायक विषय की डिग्री है। नियमावली में कहीं इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि सहायक विषयों (सब्सिडियरी) की डिग्री वाले अभ्यर्थी योग्य नहीं माने जाएंगे। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि फिलहाल नियुक्ति पर लगी रोक बरकरार रखी है। मामले पर अगली सुनवाई 6 नवंबर को निर्धारित की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *