बांग्लादेश की जेल से निकले सैकड़ों कैदी, बंगाल सीमा पर बढ़ा घुसपैठ का खतरा

कोलकाता। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर जाने के बाद बांग्लादेश में अस्थिरता थमी नहीं है। वहां थानों से लेकर जेलों तक हर जगह हमले हो रहे हैं। जेल पर हमला करके आंदोलनकारी प्रतिबंधित जमात के सदस्यों और इस्लामी छात्र संगठन के कैदियों को भी मुक्त करवा रहे हैं। सोमवार रात तक जमात और इस्लामी छात्र संगठन के सैकड़ों कैदियों को छुड़ा लिया गया था। इसके कारण बंगाल की कंटीले तारविहीन सीमा पर बांग्लादेशी घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है। इसी आशंका के चलते बीएसएफ ने ‘नाइट विजन’ कैमरों के साथ सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है।

सूत्रों के मुताबिक शेख हसीना के पदत्याग के बाद सोमवार को 13 थानों और दो जेलों पर हमले किये गये। प्रदर्शनकारियों ने कई कैदियों को छुड़ा लिया। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) सूत्रों के मुताबिक हसीना सरकार के दौरान भारत विरोधी गतिविधियों के लिए जमात और इस्लामिक छात्र संगठन के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने के कई आरोप लगे थे। सूत्रों के मुताबिक उनमें से कईयों को मुक्त करा लिया गया है।

ऐसे में सीमा पर घुसपैठ और अन्य गड़बड़ियों का खतरा बढ़ गया है। बांग्लादेश में रात के अंधेरे में तोड़फोड़ और आगजनी की खबरें आने के बाद बीएसएफ ने सतर्कता बढ़ा दी है। हसीना की पार्टी और अवामी लीग के सदस्यों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। आरोप है कि उनके घर जलाए जा रहे हैं। परिणामस्वरूप इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि वे सीमा पार कर इस देश में भी आने की कोशिश कर सकते हैं।

खासकर उन इलाकों में जहां कंटीले तार नहीं हैं, वहां अतिरिक्त नाइट विजन कैमरे लगाए गए हैं। बीएसएफ के जवान हर पल स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। दक्षिण बंगाल के अलावा उत्तर में महदीपुर, हिली, फूलबाड़ी, चांगराबांधा पर खास नजर है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में भी सीमा पर जवान सतर्क निगरानी रख रहे हैं।

उत्तर बंगाल और दक्षिण बंगाल सीमा के अंतर्गत बांग्लादेश की सीमा 2 हजार 217 किमी लंबी है, जिसमें से दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के अंतर्गत स्थलीय सीमा 913.324 किमी और जल सीमा 363.930 किमी है। दूसरी ओर, उत्तरी बंगाल फ्रंटियर के अंतर्गत भूमि सीमा 936.703 किमी है। दक्षिण बंगाल में लगभग 538 किमी और उत्तर बंगाल में 375 किमी में कोई कंटीली तार नहीं है। यानी 913 किलोमीटर का हिस्सा बिना कंटीले तारों के पड़ा हुआ है।

एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने बताया कि अगर जमात, इस्लामी छात्र संगठन की गतिविधियां बढ़ीं तो न केवल बीएसएफ बल्कि पुलिस खुफिया तंत्र को भी मजबूत होना पड़ेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *