आईएएस अधिकारी विनय चौबे को सशर्त जमानत

रांची। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की विशेष अदालत सशर्त विनय चौबे को जमानत की सुविधा प्रदान की है। जमानत पर रहने के दौरान उन्हें राज्य से बाहर जाने से पहले अदालत को सूचना देनी होगी। साथ ही ट्रायल के दौरान वे अपना मोबाइल नंबर भी नहीं बदल सकते हैं। एसीबी अदालत ने 25-25 हजार के दो निजी मुचलके भरने की शर्त भी रखी है। विशेष अदालत में विनय चौबे की ओर से अधिवक्ता देवेश आजमानी ने पैरवी की। 90 दिनों की समय सीमा पूरी होने के बाद भी जांच एजेंसी की ओर से चार्जशीट दाखिल नहीं होने पर उन्हें जमानत मिली है। किसी भी मामले में आरोपित के जेल में रहते हुए जांच अधिकारी को 60 या 90 दिनों में जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल करनी होती है। अदालत ने विनय चौबे को जमानत जरूर दे दी है। लेकिन उन्हें तुरंत जेल से रिहा नहीं किया जाएगा। क्योंकि वे हजारीबाग में जमीन से जुड़े एक अन्य मामले में भी आरोपित हैं। उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बीते 20 मई को शराब घोटाले से जुड़े मामले में विनय चौबे को पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर कर लिया था। फिलहाल विनय चौबे न्यायिक हिरासत में हैं और राज्य सरकार के उन पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है। झारखंड में हुए शराब घोटाला मामले में जेल में बंद वरीय भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी विनय चौबे को बड़ी राहत मिली है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की विशेष अदालत ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 187 (2) के तहत उन्हें जमानत दे दी है।

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