नई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने यहां भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जेन जी और जेन अल्फा ही भारत को ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य तक ले जाने वाली पीढ़ी है। उन्होंने कहा कि वे युवाओं की क्षमता, आत्मविश्वास और सामर्थ्य को समझते हैं और इसलिए उन पर उन्हें पूरा भरोसा है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि उम्र नहीं, कर्म और उपलब्धियां व्यक्ति को बड़ा बनाती हैं, और कम उम्र में भी ऐसे कार्य किए जा सकते हैं जो पूरे समाज को प्रेरणा दें। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने वीर साहिबजादों के अदम्य साहस और बलिदान को याद करते हुए कहा कि साहिबजादों ने यह नहीं देखा कि रास्ता कितना कठिन है, उन्होंने केवल यह देखा कि रास्ता सही है या नहीं। यही भावना आज भारत के युवाओं से अपेक्षित है—बड़े सपने देखना, कठिन परिश्रम करना और आत्मविश्वास को कभी डगमगाने न देना। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा, जब उसके बच्चों और युवाओं का भविष्य उज्ज्वल होगा। उनका साहस, प्रतिभा और समर्पण ही देश की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा। आज देशभर में लाखों बच्चे अटल टिंकरिंग लैब्स के माध्यम से नवाचार, शोध, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सस्टेनेबिलिटी और डिजाइन थिंकिंग से जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा का विकल्प बच्चों के लिए सीखने को और सहज बना रहा है। प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता पर प्रहार करते हुए कहा कि साहिबजादों की गाथा देश के हर नागरिक की जुबान पर होनी चाहिए थी लेकिन दुर्भाग्यवश आज़ादी के बाद भी देश इस मानसिकता से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि 1835 में मैकाले द्वारा बोए गए गुलामी के विचारों के बीजों ने भारत की अनेक सच्चाइयों को दबा दिया। अब देश ने तय कर लिया है कि इस मानसिकता से मुक्ति पानी ही होगी। उन्होंने कहा कि 2035 तक, जब मैकाले की इस सोच को 200 साल पूरे होंगे, तब तक हमें पूरी तरह गुलामी की मानसिकता से मुक्त होना है— यह 140 करोड़ भारतीयों का साझा संकल्प होना चाहिए। मोदी ने हालिया शीतकालीन सत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि संसद में हिंदी और अंग्रेजी के अलावा भारतीय भाषाओं में लगभग 160 भाषण दिए गए, जिनमें तमिल, मराठी और बंगाली प्रमुख रहीं। उन्होंने कहा कि यह दृश्य दुनिया की किसी भी संसद में दुर्लभ है और यह भारत की भाषाई विविधता की ताकत को दर्शाता है। मैकाले ने जिस विविधता को दबाने की कोशिश की थी, वही आज भारत की शक्ति बन रही है। वीर साहिबजादों के बलिदान का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि औरंगजेब की क्रूर सत्ता के सामने भी चारों साहिबजादे अडिग रहे। यह संघर्ष भारत के मूल्यों और मजहबी कट्टरता के बीच, सत्य और असत्य के बीच था। गुरु गोबिंद सिंह जी त्याग और तपस्या के साक्षात प्रतीक थे और वही विरासत साहिबजादों को मिली थी। इसलिए पूरी मुगलिया ताकत भी उनके साहस को नहीं डिगा सकी। प्रधानमंत्री ने कहा कि वीर बाल दिवस भावना और श्रद्धा से भरा दिन है। पिछले चार वर्षों में वीर बाल दिवस की परंपरा ने नई पीढ़ी तक साहिबजादों की प्रेरणा पहुंचाई है और बच्चों को राष्ट्रसेवा के लिए मंच दिया है। हर वर्ष विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है; इस वर्ष भी देश के अलग-अलग हिस्सों से 20 बच्चों को यह सम्मान दिया गया। प्रधानमंत्री ने युवाओं को संदेश दिया कि वे शॉर्ट-टर्म लोकप्रियता की चमक-दमक में न फंसे, महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा लें और अपनी सफलता को केवल व्यक्तिगत न मानें। उनका लक्ष्य होना चाहिए कि उनकी सफलता देश की सफलता बने। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, खेलो इंडिया जैसे अभियानों ने युवाओं को मंच दिया है। अब आवश्यकता है फोकस, परिश्रम और राष्ट्र के प्रति समर्पण की—ताकि भारत आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को वीर बाल दिवस के अवसर कहा कि जेन जी यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी डिजिटल-सक्षम युवा पीढ़ी और जेन अल्फा यानी 2013 के बाद जन्मे तकनीक-केंद्रित बच्चे ही भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचाएंगे।
