रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा है कि भाजपा के ऊपर से नीचे तक के नेताओं के भाषणों पर गौर करें तो यह समाज को तोड़ने के लिए सांप्रदायिक जहर से भरे हुए होते हैं। सार्वजनिक मंच पर लोगों के बीच भाजपा नेताओं के नफरती बोल और सोशल मीडिया पर भी यही घिनौनी हरकतों का सच सामने आने के बावजूद चुनाव आयोग की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया जाना गंभीर चिंता का विषय है।
पांडेय ने शुक्रवार को दलित सॉलिडेरिटी फोरम, हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स, इंडिया सिविल वॉच इंटरनेशनल, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल और टेक जस्टिस लॉ प्रोजेक्ट की संयुक्त रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि भाजपा ने आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की छवि को धूमिल करने और नफरत फैलाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये। झारखंड चुनाव से पहले सोशल मीडिया के माध्यम से झूठ और साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए भाजपा ने छाया अकाउंट्स (शैडो एकाउंट्स) का उपयोग किया है। छाया अकाउंट के माध्यम से हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ सांप्रदायिक व विभाजनकारी सामग्री (कंटेंट) का युद्ध स्तर पर प्रसार किया गया। आदिवासी मुख्यमंत्री को अपमानित करने वाले पोस्ट डाले जा रहे हैं।
पांडेय के मुताबिक, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि चुनाव आयोग इस मामले में निष्क्रिय है जबकि इस पर चुनावी नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मेटा प्लेटफॉर्म पर भाजपा ने तीन माह में राजनीतिक विज्ञापनों पर 2.25 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये हैं और छाया विज्ञापनों का एक जटिल नेटवर्क स्थापित किया है। पांडेय ने कहा है कि इस रिपोर्ट को कई नागरिक अधिकार संगठनों ने तैयार किया है। रिपोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ एक समन्वित अभियान और उनके आदिवासी पहचान को लक्षित करने की चर्चा भी की गयी है। झामुमो ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह भाजपा के इस कथित षड्यंत्र को रोकने के लिए कार्रवाई करें।