गुमला। झामुमो नेता कल्पना मुर्मू सोरेन ने आज बसिया के एनएचपीसी मैदान में आयोजित एक चुनावी सभा में सिसई विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से झामुमो प्रत्याशी जिग्गा सुसारन होरो के पक्ष में मतदान करने की अपील की। साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला। कल्पना ने कहा कि भाजपा का मकसद राज्य का विकास नहीं, बल्कि भोले-भाले आदिवासियों को बरगलाकर यहां के संसाधनों के शोषण में सिमटा हुआ है। इसके लिए बाहरी लोगों को झारखंड में लाकर भोले-भाले व मासूम आदिवासियों को ठगने का काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं, भाजपा ने पिछड़ी जातियों के 27 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर उन्हें भी ठगने का काम किया है। ऐसे में इन्हें सबक सिखाने की जरूरत है और इसके लिए मतदान से बढ़िया कोई अवसर नहीं हो सकता। भाजपा को सबक सिखाने की जरूरत इसलिए भी है कि अपने शासनकाल में लोगों को कतार खड़े करके खुश होने वाले ये लोग आम लोगों का साथ कभी नहीं दे सकते हैं।
आदिवासियों को बरगलाने वाले इन तत्वों से सावधान रहने की हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि केवल झामुमो ही ऐसी पार्टी है जो मुलवासियों और आदिवासियों के हितों की रक्षा कर सकती है। सोरेन ने भाजपा की घोषणा को झूठ का पुलिंदा बताते हुए कहा कि यह सही वक्त है जब खाते में पन्द्रह लाख डालने व दो करोड़ सरकारी नौकरी को लेकर उनसे सवाल पूछा जाना चाहिए। इस दौरान झामुमो के हेमंत सोरेन सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए उन्होंने कहा कि मैया सम्मान योजना, सावित्री बाई फुले योजना, सर्व जन पेंशन योजना, किसानों के लिए कर्ज माफी योजना, हरा राशन कार्ड, बिजली बिल माफी जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं की लंबी फेहरिस्त सामने है, जिनके लिए लोगों को कभी लाईन में खड़े होने की जरूरत नहीं पड़ी।
कल्पना ने हेमंत सोरेन सरकार की गत चार वर्षों की उपलब्धियां गिनाते हुए दावा किया कि कोरोना के बावजूद राज्य में पहली बार गरीबों व जरूरतमंदों के कल्याण की दिशा में क्रांतिकारी कार्य किए गए हैं। इसके अतिरिक्त इस चुनावी सभा में सरना कोड बिल का संवेदनशील मुद्दा उठाते हुए उन्होंने भाजपा पर आदिवासियों की अनदेखी का आरोप भी लगाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा की नजर में आदिवासियों की पहचान सिर्फ वनवासी के तौर पर रही है। ऐसे में उनसे आदिवासी समाज के हितों की उम्मीद रखना भी बेमानी है।
सभा को क्षेत्र के विधायक सह झामुमो उम्मीदवार जिग्गा सुसारन होरो ने भी संबोधित किया। उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान व आदिवासी-मूलवासियों के समग्र विकास के लिए अपने प्रयासों को विस्तार से बताते हुए तीर-धनुष पर एक बार फिर से समर्थन करने की अपील की।