पटना : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है। एक ओर जहां एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति बन चुकी है, वहीं महागठबंधन में सीट बंटवारे का पेंच अभी भी सुलझता नजर नहीं आ रहा। अंदरखाने की खींचतान अब सतह पर आने लगी है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने अब 243 सीटों पर संभावित उम्मीदवारों की सूची मांगी है। चर्चा यह भी है कि अगर बात नहीं बनी, तो पार्टी महागठबंधन से अलग होकर सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है। इसी बीच, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा प्रत्याशियों को सिंबल दिए जाने और फिर अचानक वापस लेने से महागठबंधन की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। जानकारी के अनुसार, रविवार को लालू यादव ने कई नेताओं को आरजेडी का चुनाव चिन्ह सौंपा था। बेगूसराय के मटिहानी सीट से बोगो सिंह, परबत्ता से जदयू छोड़ आरजेडी में आए संजीव सिंह और मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र को पार्टी सिंबल दिया गया था। लेकिन देर रात खबर आई कि कई उम्मीदवारों से सिंबल वापस ले लिया गया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह कदम कांग्रेस की नाराजगी के बाद उठाया गया। वहीं, जब लालू यादव टिकट वितरण में व्यस्त थे, उसी वक्त कांग्रेस ने सभी जिलों से 243 सीटों की संभावित सूची तैयार करने को कहा। इसके बाद तेजस्वी यादव दिल्ली से बिना राहुल गांधी से मिले ही पटना लौट आए। इससे महागठबंधन के भीतर मतभेद के संकेत और गहरे हो गए। इधर, दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर बिहार कांग्रेस नेताओं की देर रात हाईलेवल बैठक हुई। बैठक के बाद नेताओं को दिल्ली में ही रुकने का निर्देश दिया गया। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अब सीटों की संख्या से ज्यादा “गुणवत्ता” पर ध्यान देने के मूड में है। विवाद के बीच सोशल मीडिया पर भी सियासी तकरार जारी है। राजद सांसद मनोज झा ने लिखा – “रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय, टूटे से फिर न मिले, मिले गांठ परिजाय।” इस पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने जवाब दिया – “पानी आंख में भर कर लाया जा सकता है, अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है।”कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने भी लिखा – “शहर में आग है मगर राख में अब भी रूह है, कुछ लोग हैं जो मोहब्बत को जिंदा रखे हुए हैं।” हालांकि, पटना लौटते ही तेजस्वी यादव ने माहौल को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, “एक-दो दिनों में सब स्पष्ट हो जाएगा। कोई समस्या नहीं है, सब कुछ ठीक है।” अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या महागठबंधन सीट बंटवारे का समाधान निकाल पाएगा या फिर कांग्रेस अपने रास्ते अलग करने का बड़ा फैसला लेगी।