एनएचआरसी ने आबकारी सिपाही भर्ती में 12 मौतों पर सरकार से मांगा जवाब

पूर्वी सिंहभूम। इस घटना को गंभीर मानते हुए दीपक कुमार ने एनएचआरसी को शिकायत भेजी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना के बाद पहली बार हुई पुलिस भर्ती की दौड़ में इतनी बड़ी संख्या में मौतें राज्य के युवाओं के सपनों पर कुठाराघात है। उन्होंने सवाल उठाया कि 10 किलोमीटर की दौड़ जैसे कड़े मापदंड को चयन का आधार बनाना मौत का कारण बना, जबकि दौड़ से पहले प्रतिभागियों का हार्ट और प्रेशर सहित का परीक्षण किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद सरकार ने शारीरिक परीक्षा के पैटर्न पर तुरंत पुनर्विचार क्यों नहीं किया। एनएचआरसी के सहायक रजिस्ट्रार (विधि) अतुल कुमार के हस्ताक्षर से जारी पत्र में कहा गया है कि झारखंड सरकार को इस मामले में चार जुलाई तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। एनएचआरस ने पूछा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है। दीपक कुमार ने कहा कि युवाओं को नौकरी के लिए अपनी जान गंवानी पड़े, इससे शर्मनाक कोई घटना नहीं हो सकती। पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) झारखंड में आबकारी सिपाही भर्ती के दौरान हुई 12 मौतों के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने संज्ञान लिया है। जमशेदपुर के पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता दीपक कुमार की शिकायत पर एनएचआरसी ने झारखंड सरकार के गृह विभाग के विशेष सचिव को चार सप्ताह के अंदर जवाब देने का निर्देश बुधवार को दिया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 के अगस्त और सितंबर माह में झारखंड के सात केंद्रों पर आयोजित आबकारी सिपाही भर्ती की शारीरिक दक्षता परीक्षा के दौरान छह केंद्रों पर 12 प्रतिभागियों की मौत हो गई थी, जबकि करीब 400 प्रतिभागियों की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सूत्रों के मुताबिक, करीब एक लाख 27 हजार 572 प्रतिभागियों ने इस दौड़ में हिस्सा लिया था।

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