झारखंड के स्कूलों में तीन साल के भीतर 8.27 लाख छात्रों का नामांकन घट चुका है, जो यू-डायस प्लस की हालिया रिपोर्ट से सामने आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, शैक्षणिक सत्र 2021-2022, 2022-2023 और 2023-2024 के दौरान हर साल नामांकन में गिरावट आई है। हालांकि, शैक्षणिक सत्र 2024-2025 की नामांकन रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हो पाई है। यह गिरावट केवल सरकारी स्कूलों में नहीं, बल्कि निजी स्कूलों में भी देखी जा रही है। यहां तक कि निजी स्कूलों में नामांकन दर सरकारी स्कूलों से भी कम रही है। पिछले तीन सालों में जहां सरकारी स्कूलों में 3 लाख 99 हजार 21 छात्रों का नामांकन घटा है, वहीं निजी स्कूलों में यह आंकड़ा 4 लाख 28 हजार 474 तक पहुँच गया है।
शिक्षा विभाग का मानना है कि स्कूलों में नामांकित सभी छात्रों का डेटा यू-डायस प्लस पर सही तरीके से भरा नहीं जा रहा है। शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने इसे चिंताजनक स्थिति बताते हुए कहा कि इससे राज्य की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उनका कहना है कि यह स्थिति जिला स्तर के अधिकारियों की लापरवाही के कारण उत्पन्न हुई है, क्योंकि स्कूलों द्वारा नामांकित छात्रों का पूरा आंकड़ा सही तरीके से रिपोर्ट नहीं किया जा रहा है। इस वजह से 10 जिलों—धनबाद, गिरिडीह, पलामू, रांची, हजारीबाग, देवघर, गुमला, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम और गढ़वा के जिला शिक्षा अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है।
शिक्षा सचिव ने निर्देश दिया है कि जो निजी स्कूल यू डायस प्लस 2024-2025 के लिए आंकड़े उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए संबंधित बोर्डों जैसे कि सीबीएसई और आईसीएसई को पत्र भेजा जाए। विशेषज्ञों के अनुसार, निजी स्कूल जानबूझकर सूचना छिपाने के उद्देश्य से आंकड़े नहीं प्रदान कर रहे हैं। कई निजी स्कूल आरटीआई के कारण भी संख्या दर्ज नहीं कराते। इसके अलावा, कई बच्चों का दाखिला सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में होता है, जिसके कारण डुप्लीकेसी की समस्या उत्पन्न होती है और उनकी संख्या यू-डायस पर नहीं दी जाती।