रांची के संत जेवियर्स कॉलेज सभागार में रविवार को ‘संविधान में आदिवासी-मूलवासियों का अधिकार बनाम जमीनी हकीकत’ विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम का आयोजन आदिवासी-मूलवासी प्रोफेसर एसोसिएशन की ओर से किया गया था। राज्य के 24 छात्रावासों से आए विद्यार्थियों ने “युवाओं के समक्ष मौजूदा चुनौती और वोट के अधिकार” विषय पर संवाद में भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के नाम पर लोगों से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जो उस दौर के हैं जब “कागज का आविष्कार भी नहीं हुआ था।” उन्होंने कहा कि आज देश में भाषा, भोजन और पोशाक के नाम पर हमले हो रहे हैं, जिनका जवाब सिर्फ संविधान के हथियार से दिया जा सकता है। खेड़ा ने कहा कि वोट का अधिकार ही अपनी पहचान और अस्तित्व को बचाने का सबसे बड़ा साधन है। संविधान केवल एक किताब नहीं, बल्कि वह ग्रंथ है जो देश के भविष्य की दिशा तय करता है। पवन खेड़ा ने आगे कहा कि 1857 से पहले ही आदिवासी समाज ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाया था। लेकिन आज विकास के नाम पर आदिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को “वनवासी” कहकर उसकी पहचान मिटाने की कोशिश की जा रही है।