नई दिल्ली : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 18वीं लोकसभा के स्पीकर के रूप में ओम बिरला का नाम प्रस्तावित किया है। सत्ताधारी गठबंधन की ओर से आज बिरला ने अपना नामांकन दाखिल किया। इसी बीच विपक्ष ने भी स्पीकर के तौर पर कांग्रेस के के. सुरेश का नामांकन कर दिया है।
लोकसभा की परंपरा रही है कि अध्यक्ष को सर्वसम्मति से चुना जाता है। इस बार सदन में विपक्ष मजबूती के साथ उभरा है और उसकी ओर से उपाध्यक्ष के पद की मांग की जा रही है। सरकार का कहना है कि विपक्ष को बिना शर्त अध्यक्ष के लिए समर्थन देना चाहिए। उपाध्यक्ष पद को लेकर बाद में चर्चा की जा सकती है। ऐसे में सहमति नहीं बनने के कारण विपक्ष की ओर से केरल से आने वाले कांग्रेस के के. सुरेश ने भी अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन कर दिया है।
एनडीए के घटक दलों के नेताओं की उपस्थिति में आज अध्यक्ष के तौर पर ओम बिरला का नामांकन किया गया। जबकि विपक्ष की ओर से के. सुरेश ने नामांकन किया। उन्हें सपा और राजद का समर्थन प्राप्त है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि संसद के अध्यक्ष पद का चुनाव होने से सदन की स्थिति स्पष्ट होगी। विपक्ष को इस बात का भी पता चल जाएगा कि उसके साथ कितना संख्या बल है।
राजनाथ सिंह पर अध्यक्ष पद को लेकर विपक्ष के साथ सर्वसम्मति बनाने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने कल से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से तीन बार इसको लेकर बातचीत की। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में इसका उल्लेख किया। उनसे पूछा गया था कि विपक्ष सरकार की ओर से कॉल का इंतजार कर रहा है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कल शाम खरगे जी को दो बार राजनाथ जी की ओर कॉल आया था। हमने अध्यक्ष पद के लिए उनके उम्मीदवार को समर्थन देने की बात कही थी, लेकिन हमारी मांग थी कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के नेता को दिया जाए। राजनाथ जी ने कहा कि वे दोबारा फोन करेंगे, लेकिन उनका फोन नहीं आया। इसका मतलब साफ है कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है। सहमति की बात कर रहे हैं, लेकिन उसपर चल नहीं रहे।
केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि एनडीए ने ओम बिरला जी को अपना उम्मीदवार चुना है। उन्हें समर्थन देने के लिए राजनाथ जी ने खरगे जी से चर्चा की। आज उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से केसी वेणुगोपाल चर्चा करेंगे। वेणुगोपाल और द्रमुक नेता टीआर बालू आए और उन्होंने शर्त रखी कि विपक्ष के नेता को उपाध्यक्ष बनाया जाए। हमने कहा कि अध्यक्ष के निर्वाचन के बाद उपाध्यक्ष पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष किसी पार्टी के नहीं होते हैं।
इसी बीच एनडीए के घटक दलों के नेताओं ने विपक्ष की अध्यक्ष पद को समर्थन दिए जाने को लेकर विपक्ष की ओर से शर्त रखे जाने को गलत बताया है। जदयू नेता राजीव रंजन सिंह और टीडीपी नेता राम मोहन नायडू ने कहा कि शर्त रखनी नहीं चाहिए और अध्यक्ष पद का समर्थन करना चाहिए।
इसी बीच विपक्ष की ओर से अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे के. सुरेश ने कहा कि दो बार से लोकसभा में उपाध्यक्ष पद नहीं है। इस बार विपक्ष संख्याबल में मजबूत है। उपाध्यक्ष पद पर हमारा अधिकार है। विपक्ष की ओर से कॉल का इंतजार किया जाता रहा, लेकिन कोई कॉल नहीं आया तो पार्टी ने के. सुरेश को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया।