100 वर्ष से आदर्श और सिद्धांतों पर टिका है संघ का वटवृक्ष : प्रधानमंत्री

नागपुर। प्रधानमंत्री माेदी रविवार काे नागपुर स्थित माधव नेत्रालय के प्रीमियम सेंटर इमारत के भूमि पूजन कार्यक्रम काे संबाेधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश का अस्तित्व उस देश की संस्कृति के विस्तार पर निर्भर करता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है। हमारे देश पर कई विदेशी आक्रमण हुए, हमारी संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास किए गए, फिर भी भारतीय संस्कृति की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई। यह चेतना बनाए रखने के लिए अनेक आंदोलनों का आयोजन भारत में हुआ। भक्तिरस से भरे आंदोलन इसका उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक वटवृक्ष की तरह है और यह वटवृक्ष बीते 100 वर्ष से आदर्श और सिद्धांतों पर टिका हुआ है। किसी भी देश का अस्तित्व उस देश की संस्कृति के विस्तार पर निर्भर करता है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है। देश पर कई विदेशी आक्रमण हुए, संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास हुए लेकिन भारतीय संस्कृति की चेतना कभी समाप्त नहीं हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत की राष्ट्रीय संस्कृति का कभी न समाप्त होने वाला अक्षय वटवृक्ष है। उन्हाेंने कहा कि साथ ही संघ एक निरंतर चलने वाला यज्ञ भी है, जो बाह्य और आंतरिक दृष्टि से काम करता है। बाह्य दृष्टि से माधव नेत्रालय जैसे उपक्रम हैं, जबकि आंतरिक दृष्टि से संघ सेवा कार्य के माध्यम से आगे बढ़ता है। ये सेवा संस्कार और साधना प्रत्येक स्वयंसेवक के लिए जीवनदायिनी हैं। प्रत्येक स्वयंसेवक पीढ़ी दर पीढ़ी इससे प्रेरित हो रहा है, जो उसे निरंतर गतिमान बनाए रखता है। इस कारण से स्वयंसेवक कभी थकते नहीं, कभी रुकते नहीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम देखते हैं कि संघ के स्वयंसेवक चाहे पहाड़ी क्षेत्र हो, समुद्री क्षेत्र हो या जंगल का क्षेत्र हो, वे अपनी सेवा कार्यों को निरंतर करते रहते हैं। प्रयागराज में हमने देखा कि स्वयंसेवकों ने लाखों लोगों की मदद की। जहां सेवा कार्य होता है, वहां स्वयंसेवक होते हैं। चाहे प्राकृतिक आपदाएं हों या अन्य संकट, स्वयंसेवक अनुशासित सैनिकों की तरह वहां पहुंचते हैं और सेवा भाव से काम करते हैं।” प्रधानमंत्री माेदी ने कहा कि हमारे संतों ने समाज में यही चेतना जागृत की। महाराष्ट्र के संत तुकाराम, संत एकनाथ, संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर ने यह कार्य किया। फिर स्वामी विवेकानंद ने इसे आगे बढ़ाया। स्वतंत्रता संग्राम से पूर्व डॉ. हेडगेवार और गुरुजी गोळवलकर ने भी इस राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया। उन्होंने 100 वर्ष पहले जिस वटवृक्ष का बीजारोपण किया था, वह आज विशाल रूप में फैल चुका है। मोदी ने यह भी कहा कि संघ का यह वटवृक्ष आदर्श और सिद्धांतों की वजह से टिक पाया है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत पर सैकड़ों वर्षों तक विदेशी आक्रमण हुए। कई क्रूर आक्रमणकारियों ने हमारी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन भारतीयता की जड़ें कभी भी कोई समाप्त नहीं कर सका। भारतीय संस्कृति के संरक्षण और उसे जीवित रखने के लिए देश में कई आंदोलन हुए। उनमें से भक्तिरस से भरा आंदोलन महत्वपूर्ण था। हमारे देश के महान संतों ने भक्तिरस आंदोलन के माध्यम से राष्ट्रीय विचारधारा को जीवित रखा और समाज में विद्यमान दूरी को समाप्त कर सबको एक सूत्र में बांधने का काम किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, स्वामी अवधेशानंद गिरी और स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज मुख्य रूप से उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *