रांची। बुधवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में इसे जनजातीय स्वशासन की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि पेसा नियमावली लागू होने से गांव के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचना सुनिश्चित होगा। रतन तिर्की ने बताया कि पेसा नियमावली तैयार करने वाली टीम में डॉ. रणेंद्र कुमार, सुधीर पाल, प्रभाकर तिर्की, बलराम, रतन तिर्की, रश्मि कात्यायन, जॉनसन टोपनो, दयामनी बारला, लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. रामचंद्र उरांव, एलिना होरो, सुषमा बिरूली, नेहा सहित कई विशेषज्ञ एवं सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर टीआरआई डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, मोराबादी में डॉ. रणेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई थी। इस टीम ने लगभग चार महीनों तक विभिन्न राज्यों में लागू पेसा नियमावली का गहन अध्ययन कर झारखंड के सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में उपयुक्त नियमावली का मसौदा तैयार किया। रतन तिर्की ने यह भी कहा कि पेसा के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्राम सभाओं को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है, ताकि आदिवासी समाज के अधिकारों की सही मायनों में रक्षा हो सके। उन्होंने मुख्यमंत्री के नेतृत्व और राजनीतिक इच्छाशक्ति की सराहना करते हुए इसे झारखंड के जनजातीय समाज के लिए मील का पत्थर बताया। झारखंड में पेसा नियमावली को हेमंत सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर टीएसी के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बधाई दी है।
