
हैदराबाद : तुर्कापल्ली स्थित राज विद्या केन्द्र में आयोजित एक कार्यक्रम में हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने, हैदराबाद में 26 नवंबर 2025 को, शांति दूत प्रेम रावत जी के मानवता व शांति संदेश का लाभ उठाया। कार्यक्रम में हैदराबाद के अलावा निकटवर्ती जिलों से भी लोग आये हुए थे।
प्रेम रावत जी ने अपने संबोधन में कहा कि जिसकी तुम्हें तलाश है, वह वास्तव में तुम्हारे अंदर ही है। लेकिन जब तक आप उसका अनुभव नहीं कर लेते, तब तक वे केवल शब्द मात्र हैं। जैसे केवल किताबें पढ़कर भूख नहीं मिट सकती, उसके लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार बिना अनुभव के सारी बातें केवल विचार मात्र ही रह जाती हैं। उन्होंने स्वयं को जागरूक रखने के प्रयासों पर भी बल दिया और कहा कि आज हम तकनीकी सुविधाओं में इतने उलझ गए हैं कि अपनी चेतना के महत्व को समझ ही नहीं पा रहे, जबकि वही हमारी शांति और सुरक्षा के लिए सबसे ज़रूरी है।
एक कहानी के माध्यम से समझाते हुए प्रेम रावत जी ने कहा कि एक राजा भगवान से मिलने की इच्छा लेकर एक महात्मा के पास गया। तब महात्मा ने बताया कि जिस भगवान को वह बाहर खोज रहा है, वह पहले से ही उसके भीतर है—जैसे किसी मेहमान का इंतज़ार बाहर करते रहें जबकि वह पहले से घर के अंदर बैठा हो। उन्होंने कहा कि अपने असली स्वरूप को पहचानने के लिए विवेक और अनुभव आवश्यक है। अपने आप को जानने का अवसर दें, क्योंकि जीवन की शुरुआत भी श्वास से ही हुई है और अंत भी उसी से होगा। इसलिए अपने जीवन को आभार और जागरूकता से भर दें।
आज दुनिया भर में लोग प्रेम रावत जी द्वारा किए गए मानवीय और शांति प्रयासों को सम्मानित कर रहे हैं। उनके शांति संदेशों को आज 100 से अधिक देशों में देखा और सुना जा रहा है। उनके द्वारा रचित पीस एजुकेशन कार्यक्रम का लाभ अब तक जेलों में रहने वाले कैदियों के साथ-साथ, स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अस्पतालों में पाँच लाख से अधिक लोगों ने उठाया है और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव किया है। हाल ही में आयोजित बी. आर. अम्बेडकर ओपन यूनिवर्सिटी (BRAOU) के 26वें दीक्षांत समारोह में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वक्ता, लेखक एवं शांति दूत श्री प्रेम रावत को डॉक्टर ऑफ लेटर्स की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया।
नवंबर महीने की भारत यात्रा के दौरान, प्रेम रावत जी ने अपने पिता, श्री हंस जी महाराज, की 125वीं हंस जयंती के उपलक्ष्य में राज विद्या केन्द्र दिल्ली द्वारा आयोजित समारोह में हजारों उपस्थित लोगों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने शांति, मानव जीवन के आंतरिक मूल्यों और प्रत्येक व्यक्ति के भीतर मौजूद अपार संभावनाओं के प्रति जागरूक रहने का मार्गदर्शन दिया।
अपनी इस यात्रा के दौरान, प्रेम रावत जी ने दो विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए—नई दिल्ली के यशोभूमि में तथा हैदराबाद के HICC में। इन कार्यक्रमों में भाग लेने वाले लोगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे यह प्रशिक्षण उन्हें अपने जीवन के प्रति जागरूक होने, स्वयं की समझ विकसित करने और बेहतर दिशा चुनने की प्रेरणा देता है। इसके अलावा, उन्होंने साहित्यिक महोत्सव “साहित्य आज तक” कार्यक्रम में दिए गए अपने विशेष इंटरव्यू के माध्यम से भी लोगों से जुड़ाव बनाया, जिसमें उन्होंने जीवन के प्रति सच्चे प्रेम, आत्म-सम्मान और जीते-जी आंतरिक शांति का अनुभव करने की महत्ता पर गहन संदेश दिया।
श्री प्रेम रावत के संबोधन तथा लाइव संगीत ने कार्यक्रम को और भी रोचक और आनंददायक बना दिया। इस कार्यक्रम को हज़ारों लोगों ने टाइमलेस टुडे ऐप और वेबसाइट पर ऑनलाइन भी देखा।
