रांची। झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के सांसदों और विधायकों (एमपी-एमएलए) के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निष्पादन को लेकर सख्त और गंभीर रुख अपनाया है। सोमवार को न्यायमूर्ति जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में इस संबंध में स्वतः संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई की गई।
सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मौखिक निर्देश देते हुए कहा कि सांसदों और विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों को प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र निपटाया जाए। अदालत ने स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कहा कि ट्रायल में अनावश्यक देरी से न केवल न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है, बल्कि इसका सीधा असर गवाहों पर भी पड़ता है, जिससे निष्पक्ष न्याय में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का समयबद्ध निपटारा लोकतंत्र की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। न्यायालय ने जांच एजेंसियों और अभियोजन पक्ष को जिम्मेदारी और तत्परता के साथ कार्य करने का संकेत दिया।
राज्य सरकार की ओर से अदालत को अवगत कराया गया कि वर्तमान में राज्य में सांसदों और विधायकों से जुड़े दो प्रमुख आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनकी निगरानी की जा रही है। वहीं, सीबीआई की ओर से अदालत में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई।
अदालत ने सीबीआई के आग्रह को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई की तिथि 11 फरवरी निर्धारित की है। साथ ही यह उम्मीद जताई कि अगली सुनवाई तक जांच एजेंसी प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और मामलों के शीघ्र निष्पादन की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।–
