नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि लेखापरीक्षा संस्थाओं द्वारा लेखापरीक्षा और मूल्यांकन से न केवल सार्वजनिक धन की सुरक्षा होती है, बल्कि शासन में जनता का विश्वास भी बढ़ता है। राष्ट्रपति नई दिल्ली में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा आयोजित 16वीं एशियाई सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थान संगठन (एएसओएसएआई) सभा के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत का कैग देश के सार्वजनिक वित्त में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अकारण नहीं था कि भारतीय संविधान ने कैग के कार्यालय को व्यापक अधिकार और पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि कैग का कार्यालय संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। यह नीति संबंधी और नैतिक आचरण की एक सख्त संहिता का पालन करता है जो इसके कामकाज में सर्वोच्च स्तर की ईमानदारी सुनिश्चित करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के ऑडिट का कार्य पारंपरिक ऑडिटिंग से आगे बढ़कर जन कल्याणकारी योजनाओं और परियोजनाओं की प्रभावशीलता का आकलन करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सभी नागरिकों को समान रूप से सेवा प्रदान करें। उन्होंने कहा कि तेजी से प्रौद्योगिकी-संचालित दुनिया में, अधिक से अधिक सार्वजनिक सेवाएं प्रौद्योगिकी का उपयोग करके प्रदान की जा रही हैं। इसलिए, ऑडिट को अपने निरीक्षण कार्यों को प्रभावी ढंग से करने में सक्षम होने के लिए तकनीकी विकास के साथ बने रहने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी जैसी उभरती डिजिटल प्रौद्योगिकियां आधुनिक शासन की रीढ़ बन रही हैं। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) नागरिकों को प्रदान की जाने वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था और सेवाओं के कामकाज को समर्थन देने और बढ़ाने के लिए आधार के रूप में कार्य करती है। डिजिटल पहचान से लेकर ई-गवर्नेंस प्लेटफ़ॉर्म तक, डीपीआई में सार्वजनिक सेवाओं और वस्तुओं की डिलीवरी में क्रांति लाने की क्षमता है, जिससे वे अधिक सुलभ, कुशल और समावेशी बन सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं और समाज के कमज़ोर वर्गों की डिजिटल तकनीकों तक पहुंच कम है, डिजिटल कौशल विकसित करने के कम अवसर हैं और डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनका प्रतिनिधित्व कम है। यह विभाजन न केवल आवश्यक सेवाओं तक उनकी पहुंच को सीमित करता है बल्कि असमानता को भी बढ़ाता है। यहीं पर सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों (एसएआई) की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। लेखा परीक्षकों के रूप में, उनके पास यह सुनिश्चित करने की अनूठी ज़िम्मेदारी और अवसर है कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को इस तरह से डिज़ाइन और कार्यान्वित किया जाए जो सभी के लिए समावेशी और सुलभ हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि वित्तीय दुनिया अक्सर अपारदर्शी लेखा प्रथाओं से घिरी रहती है। इस स्थिति में, स्वतंत्र सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थानों की भूमिका यह देखना है कि सार्वजनिक संसाधनों का प्रबंधन कुशलतापूर्वक, प्रभावी ढंग और पूरी ईमानदारी के साथ किया जाए। एसएआई द्वारा किए गए लेखा परीक्षा और मूल्यांकन न केवल सार्वजनिक धन की सुरक्षा करते हैं बल्कि शासन में जनता का विश्वास भी बढ़ाते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के कैग संस्थान का सार्वजनिक लेखा-परीक्षण का समृद्ध इतिहास रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 16वीं एएसओएसएआई सभा के मेजबान के रूप में एसएआई इंडिया के पास सभा में एकत्रित विद्वानों के विचार-विमर्श में बहुत कुछ प्रस्तुत करने को होगा। उन्होंने 2024 से 2027 की अवधि के लिए एएसओएसएआई की अध्यक्षता संभालने के लिए एसएआई इंडिया को बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत के कैग के कुशल नेतृत्व में, एएसओएसएआई सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देते हुए नई ऊंचाइयों को छुएगा। इस अवसर पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू, उप नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के एस सुब्रमण्यन सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।