नई दिल्ली । लोकसभा ने बुधवार को ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ को पारित कर दिया। यह विधेयक तंबाकू उत्पाद पर मौजूदा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कंपनसेशन सेस की जगह बढ़ी हुई सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लेगा। इसके साथ ही निचले सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित हो गई।
इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा के पटल पर ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ को विचार और पारित करने के लिए रखा। सीतारमण ने सोमवार को निचले सदन में इस विधेयक को 1 दिसंबर को पेश किया था। वित्त मंत्री ने लोकसभा में ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक का मकसद जीएसटी मुआवजा सेस खत्म होने के बाद तंबाकू और उससे जुड़े उत्पादों पर उत्पाद शुल्क को बदलना है। उन्होंने कहा कि भारत में भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से पहले तंबाकू के रेट हर साल बढ़ाए जाते थे। यह मुख्य रूप से सेहत से जुड़ी चिंताओं के कारण था, क्योंकि ज्यादा कीमतें या टैक्स लोगों को यह आदत न लगाने के लिए रोकने के लिए थे।
सीतारमण ने कहा कि यहां कई मंत्रियों ने कहा कि यह एक सेस है। उत्पाद शुल्क कोई सेस नहीं है, उन्होंने कहा ये शुल्क जीएसटी से पहले भी थी। कम्पेनसेशन सेस वापस केंद्र के पास आ रहा है, जिसे उत्पाद शुल्क के तौर पर इकट्ठा किया जाएगा, जिसे राज्यों को दिए गए 41 फीसदी हिस्से पर बांटा जाएगा। सीतारमण ने कहा कि 2022 तक जो कंपनसेशन सेस इकट्ठा किया जाता था, वह राज्यों के हाथ में चला गया, इसे राज्यों को दे दिया गया और उस समय जब जीएसटी आया था, तो कानून के हिसाब से कंपनसेशन सेस पूरे 5 साल तक इकट्ठा किया जाना था और यह 2022 में खत्म हो गया।
ये विधेयक केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में बदलाव के लिए लाया गया है। यह एक्ट भारत में बने या बनाए गए सामान पर ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क’ को लगाने और वसूलने का प्रावधान करता है। इस विधेयक को लाने का मकसद तंबाकू और तंबाकू प्रोडक्ट्स पर ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क’ के रेट को बदलना है, ताकि इन उत्पादों पर टैक्स मौजूदा स्तर पर ही रहे। ये विधेयक बिना बने तंबाकू, बने हुए तंबाकू, तंबाकू उत्पादों और तंबाकू के सब्स्टीट्यूट पर ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क’ बढ़ाता है।
