रांची : भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर रविवार को बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ अपने आंदोलन को एक सामाजिक अभियान करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह झारखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर की रक्षा के लिए एक सशक्त पहल है।
चंपाई सोरेन ने चिंता व्यक्त की कि पाकुड़ और साहिबगंज जैसे जिलों में आदिवासी समाज आज अल्पसंख्यक बन चुका है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि हम भूमिपुत्रों की जमीन और वहां रहने वाली बहू-बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सके, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने भविष्य में संथाल परगना की वीर भूमि पर अपने अभियान के अगले चरण की शुरुआत करने की घोषणा की। इसमें वीर सिदो-कान्हू और वीरांगना फूलो-झानो को याद किया जाएगा।
सोरेन ने कहा कि सरकारें बदलती रहेंगी लेकिन आदिवासी समाज की पहचान और संस्कृति की रक्षा के लिए यह प्रयास जारी रहना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह जनसांस्कृतिक धरोहर नहीं बची, तो एक बार फिर “उलगुलान” का आगाज होगा। इस सामाजिक अभियान के तहत चंपाई सोरेन ने स्थानीय समुदाय से अपील की कि वे इस दिशा में सामूहिक रूप से एकजुट होकर काम करें, ताकि उनके अधिकारों और धरोहरों की रक्षा हो सके।