पश्चिमी सिंहभूम। यह मामला सीसी संख्या 26/2024 के तहत लक्ष्मी पुर्ती, निवासी ग्राम तुईबाना, थाना मनझारी, जिला पश्चिमी सिंहभूम द्वारा दायर किया गया था। शिकायत के अनुसार, लक्ष्मी पुर्ती अपनी माता जेमा कुई पुर्ती के साथ भारतीय स्टेट बैंक की चाईबासा शाखा में एफडी कराने गई थीं। बैंक कर्मियों द्वारा उन्हें एसबीआई लाइफ के प्रतिनिधि के पास भेजा गया, जहां उनसे कागजातों पर हस्ताक्षर करवा लिए गए। बाद में पता चला कि एफडी के बजाय 2 लाख रुपये की ‘रिटायर स्मार्ट प्लस’ बीमा पॉलिसी कर दी गई है। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें एफडी का भरोसा दिलाया गया था। जब उन्होंने पॉलिसी रद्द कर राशि लौटाने की मांग की, तो कंपनी की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला। इसके बाद ऑटो-डेबिट के माध्यम से दोबारा 2 लाख रुपये काट लिए गए, जिससे उन्हें गंभीर मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। आयोग ने अपने फैसले में कहा कि बीमा कंपनी यह साबित करने में असफल रही कि उपभोक्ता को बीमा उत्पाद की पूरी जानकारी दी गई थी। आयोग ने स्पष्ट किया कि बीमा को एफडी बताकर बेचना अनुचित व्यापार व्यवहार है और उपभोक्ता की सहमति धोखे से ली गई थी। आयोग ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को 45 दिनों के भीतर कुल 4 लाख रुपये शिकायतकर्ता को लौटाने का आदेश दिया है। इसके अलावा मानसिक पीड़ा के लिए 40 हजार रुपये तथा वाद व्यय के रूप में 10 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। तय समय सीमा में भुगतान नहीं होने पर राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा। आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश की प्रति दोनों पक्षों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए तथा इसे आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बीमा के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) बताकर की गई ठगी के एक मामले में सोमवार को अहम फैसला सुनाते हुए इसे अनुचित व्यापार व्यवहार करार दिया है। आयोग ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को उपभोक्ता की पूरी राशि लौटाने के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है।
