रांची : रांची संसदीय क्षेत्र में कुर्मी वोटर बड़ा फैक्टर माना जाता रहा है। इसलिए भाजपा के टिकट से पांच बार रामटहल चौधरी को टिकट मिलता रहा। इन्होंने कई बार रांची सीट से जीत भी हासिल की थी। अब रामटहल चौधरी भाजपा में नहीं हैं। ऐसे में भाजपा के साथी आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो अंदर से भाजपा का साथ दे रहे हैं ताकि कुर्मी वोटर इधर-उधर न हो सके और भाजपा को इसका सीधा लाभ मिल सकेगा। आंकड़ों के अनुसार रांची लोकसभा क्षेत्र में साढ़े तीन लाख आबादी सिर्फ कुर्मी वोटरों की है जबकि यहां मिशनरी और मुस्लिम वोट भी खासा मायने रखते हैं।
उधर, लोकसभा चुनाव-2024 में रामटहल चौधरी ने टिकट के लिए कांग्रेस का दामन थामा तो वरिष्ठ कांग्रेसजनों ने उन्हें पाकर खुशी जताई थी लेकिन पलक झपकते राजनीति के माहिर खिलाड़ी सुबोधकांत सहाय ने चुनाव को दिलचस्प मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। सहाय ने बेटी यशस्विनी सहाय को कांग्रेस से टिकट दिलाकर रांची लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनवा दिया।
इस बीच भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ चुनावी मैदान में हैं। रांची सीट भाजपा बनाम आईएनडीआईए के बीच दिलचस्प मोड़ पर है लेकिन कुर्मी वोटरों के समर्थन में बड़े चेहरे का अभाव है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हो न हो अंदर से आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ही रांची सीट की कमान संभाल रहे हैं। कुर्मी वोटरों का लाभ भाजपा को मिले इसके लिए सुदेश महतो चुनावी मैदान में अंदर से गठबंधन के साथी भाजपा का साथ दे रहे हैं।
हालांकि, रांची सीट से महागठबंधन के कई नामचीन चेहरे एक साथ चुनावी ताकत झोकेंगे। एक तरफ जहां भाजपा के संजय सेठ रांची लोक सभा सीट से खड़े हैं तो वहीं दूसरी तरफ मुकाबला करने के लिये फिल्ड में यशस्विनी सहाय सहित अन्य नामचीन चेहरे मौजूद हैं। रांची से कांग्रेस के भैया माने जाने वाले सुबोधकांत सहाय की पुत्री यशस्विनी सहाय और भाजपा के सांसद उम्मीदवार संजय सेठ के बीच जोरदार मुकाबला होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, आजसू सुप्रिमो सुदेश महतो, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो सहित अन्य बड़े नेता एनडीए को जीत के लिए एकजुट हैं जबकि झामुमो की कल्पना सोरेन, कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर सहित आईएनडीआईए यशस्विनी सहाय को विजयी बनाने के लिए लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। वैसे भाजपा के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी कांग्रेस में प्रचार करते तो शायद कुर्मी वोटर काटते लेकिन रामटहल चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि टिकट के लिए ही वे कांग्रेस आए थे।