किशनगंज : जिले में अवैध खनन माफिया काफी सक्रिय है। यहां बालू घाटों की नीलामी जहां नहीं हो पाई है वहां से पूरी रात बिहार बंगाल बालू गिट्टी लदे डंपर लोगों की रात की नींद हराम कर रहे है। वही जिला प्रशासन के निर्देश के बाबजूद स्थानीय प्रशासन चैन की नींद सो रही है। बालू और अवैध खनन माफिया डंके के चोट पर कहते है की सैया भए कोतवाल अब डर काहे का..। इतना ही नहीं नेताओं का सर पर हाथ और स्थानीय प्रशासन का साथ जब मिले तो यह बात भले ही सुनने में अच्छा ना लगे पर यही सच है।
बताया जाता है कि अवैध वाहन बालू गिट्टी के लिए प्रति वाहन मासिक वसूली होती है। इसके बदले इन माफिया की वाहन को अभयदान दिया जाता है। अवैध खनन का सीधा असर सरकारी राजस्व पर पड़ रहा है। कई जिले तो ऐसे हैं जहां 50 फीसद से काम वसूली हुई है। विभाग के अपर सचिव रवि परमार ने बांका, भागलपुर, जमुई, मुंगेर, किशनगंज और लखीसराय के खनन अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी थी। इतना ही नहीं अवैध खनन और परिवहन को रोकने के लिए विभाग द्वारा सख्त रवैया अपनाया जा रहा है, जिससे कि सरकारी राजस्व को क्षति होने से बचाया जा सके। इसके बावजूद भी कुछ ऐसे ही इलाके हैं, जहां पर चोरी छुपे अवैध खनन किया जा रहा है, जिसमें सुखानी थाना क्षेत्र सुरीभिट्टा, चेंगा, सखुआडाली, जमना, साबोडांगी, बारहपोठिया भी शामिल है।
यहां से अवैध खनन कर बालू माफिया सरकारी राजस्व में लाखों करोड़ों का चूना लगा रहे हैं। खनन कार्यालय में जिला खनन पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने बताया कि जो भी लोग अवैध खनन कर रहे है उन सभी पर कार्रवाई होगी और अभी लगातार छापेमारी अभियान जारी रहेगा। इस प्रकार के बयान चुनावी नेताओ जैसा लगता है। शराब बंदी के बावजूद शराब घर तक पहुंच रही है। उसी प्रकार बालू गिट्टी का खेल जारी है। मुख्यमंत्री सख्त कदम उठाने का दिया निर्देश हैं। बिहार की सबसे बड़ी समस्या पर सरकार सख्त हो गई है। बिहार सरकार ने सभी जिलों के अधिकारियों को आदेश जारी किया है कि रोज जांच की जाए और हर शाम मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाए। 03 मई को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य में बढ़ती बालू खनन की अवैध घटनाओं पर लगाम कसने के लिए प्रतिदिन जांच की जाएगी।
बिहार सरकार ने राज्य में बालू के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर रोक लगाने के लिए सभी जिला खनन अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में बालू घाटों का निरीक्षण करने और दैनिक आधार पर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। इस संबंध में निर्णय एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया जिसमें खान एवं भूतत्व विभाग और अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। गौर करे कि बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, राज्यभर के जिला खनन अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में बालू घाटों का निरीक्षण करने और दैनिक आधार पर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया है। नीलाम किए गए सभी बालू घाटों पर बोर्ड लगाने और बालू की ओवरलोडिंग से निपटने के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) एकीकृत वजन मशीन स्थापित करने और अवैध परिवहन पर नजर रखने के लिए निर्देश भी जारी किए गए हैं। अधिकारियों को बालू खदान गतिविधि पर नजर रखने और खदान से डिपो और राज्य के अन्य निर्दिष्ट गंतव्यों तक बालू ले जाने वाले ट्रकों पर नजर रखने के लिए कहा गया है। जिन बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है, उन घाटों पर भी बोर्ड लगाने का निर्देश दिया गया है। इसका मकसद प्रदेश में बालू के अवैध खनन पर पूरी तरह लगाम कसना है।
राज्य में बालू माफिया द्वारा हमले किए जाने की घटनाएं देखी जा रही हैं, जिसमें पुलिसकर्मी और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी घायल हो चुके हैं। ऐसी घटनाएं मुख्य रूप से किशनगंज, पटना, भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, सारण और वैशाली जिलों से सामने आती हैं। हालांकि, पूरे प्रदेश में ही अवैध बालू खनन एक बड़ी मुसीबत बन चुका है। जिस पर लगाम कसने के लिए खास तैयारी की गई है।