नई दिल्ली : देश के 12 राज्यों में कृषि सखी कार्यक्रम की शुरूआत कर दी गई है। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, झारखंड, मेघालय, राजस्थान, महाराष्ट्र में फिलहाल यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस संकल्प के तहत एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय मिलकर इस कार्यक्रम को चलाएंगे। दोनों मंत्रालयों ने एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया है।
कृषि मंत्रालय के 18 जून को जारी बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का संकल्प है। इस संकल्प के तहत एक करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं, 2 करोड़ और लखपति दीदी बनानी हैं। किसानों की सहायता के लिए ग्रामीण इलाके की बहनों को प्रशिक्षण देकर कृषि सखी तैयार करना है। वो खेती में अलग-अलग कामों के माध्यम से किसानों का सहयोग कर 60-80 हजार रुपये तक की सालाना अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम होंगी।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक कृषि सखी कार्यक्रम के तहत आज तक 34,000 से अधिक कृषि सखियों को पैरा-एक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रमाणित किया जा चुका है। कृषि सखियों को कृषि पैरा-विस्तार कार्यकर्ताओं के रूप में इसलिए चुना जाता है, क्योंकि वे गांव की ही हैं और उन्हें खेती की जानकारी होती है। कृषि सखियों को विभिन्न कृषि पद्धतियों के बारे में व्यापक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे साथी किसानों को प्रभावी ढंग से सहायता और मार्गदर्शन देने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं।
कृषि मंत्रालय के मुताबिक एक साल पहले कृषि सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत शुरू किया गया। इसके तहत 70,000 कृषि सखियों को प्रशिक्षण देने का उद्देश्य रखा गया। अब तक 34,000 सखियां प्रमाण पत्र लेकर काम शुरू करेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कृषि सखियों के रूप में 30,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए 18 जून को वाराणसी के दौरे पर हैं। देश भर से लगभग 2.5 करोड़ किसान इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।