ऑपरेशन सिंदूर: 7 मई की तारीख यूं ही नहीं चुनी गई, रांची में सीडीएस ने किया खुलासा

रांची । भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने गुरुवार को झारखंड राजभवन में स्कूली बच्चों से संवाद के दौरान पहली बार ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के लिए 7 मई की तारीख को बेहद सोच-समझकर चुना गया था।
चौहान ने कहा कि मौसम का आकलन भी रणनीति का अहम हिस्सा था। उस दिन आसमान साफ था। 7 मई और उसके दो-तीन दिन तक बारिश की संभावना नहीं थी। उन्होंने कहा “हमने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि तेज हवा, बरसात या घना कोहरा जैसी कोई भी स्थिति हमारे सैन्य उपकरणों की कार्यक्षमता को प्रभावित न करे।”
उन्होंने बताया कि कार्रवाई का समय रात एक से डेढ़ बजे रखा गया, ताकि आम नागरिकों को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। चर्चा के दौरान यह सुझाव भी आया था कि हमला सुबह पांच बजे सूर्योदय के वक्त किया जाए। लेकिन इस विचार को खारिज कर दिया गया, क्योंकि उस समय बड़ी संख्या में लोग नमाज पढ़ने के लिए उठ जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया-“हम नहीं चाहते थे कि निर्दोष नागरिकों को नुकसान पहुंचे। इसलिए रात का सन्नाटा चुना गया, जब नागरिक गतिविधियां लगभग शून्य होती हैं।”
सीडीएस चौहान ने आगे कहा कि इस ऑपरेशन में सेना के तीनों अंग—आर्मी, नेवी और एयरफोर्स—ने मिलकर भागीदारी की। एयरफोर्स ने सटीक लक्ष्य साधे और हथियारों ने अद्भुत एक्यूरेसी के साथ काम किया। “इसमें सिर्फ गोलीबारी नहीं थी, बल्कि दूरी, एंगल और साइंस की गहरी समझ और लंबी तैयारी शामिल थी,” उन्होंने कहा। पाकिस्तान के बहावलपुर से करीब 120 किलोमीटर दूर आतंकी ठिकानों पर सटीक निशाना साधना भारतीय सेना की पेशेवर दक्षता का सबूत है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार कार्रवाई के साथ-साथ तस्वीरें और वीडियो सबूत भी जुटाए गए, जबकि बालाकोट ऑपरेशन में यह संभव नहीं हुआ था। उरी और बालाकोट से अलग इस बार रणनीति पूरी तरह नई थी। ड्रोन टेक्नोलॉजी का भी सफल उपयोग किया गया।
सीडीएस ने कहा कि भारतीय सेना पर जनता का विश्वास और सम्मान 1947 से अब तक के बलिदानों और गौरवशाली परंपरा की देन है। उन्होंने बच्चों से 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लक्ष्य में योगदान देने का आह्वान किया।
इस मौके पर झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ विशेष तौर पर मौजूद रहे।

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