हजारीबाग। एनटीपीसी चट्टी बरियातू व केरेडारी कोयला खनन परियोजना के कोयले की धूल एवं ओबी की धूल से केरेडारी प्रखण्ड में प्रदूषण की मात्रा में दिन प्रति दिन इजाफा दर्ज किया जा रहा है। आलम यह है कि केरेडारी, चट्टीबरियातू, पाण्डु, कावेद, बेंगवरी, लोचर, जोरदार के सबसे हरे-भरे क्षेत्रों में थे लेकिन केरेडारी की हवा में सबसे अधिक जहर कोयला घोल रहा है। इसकी वजह से लोग सांस और स्कीन से संबंधित गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते जा रहे हैं।
चट्टीबरियातू व केरेडारी कोयला खनन परियोजना में अभी सबसे अधिक कोयला का उत्पादन ओपेन कास्ट माइंस से हो रहा है। यही माइंस प्रदूषण का सबसे प्रमुख स्रोत भी साबित हो रही है। इनके खनन के दौरान होने वाली ब्लास्टिंग की वजह से बड़ी मात्रा में धूलकण हवा में पहुंच इसे प्रदूषित कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसके साथ यहां कोयला और ओवर बर्डेन की अवैज्ञानिक तरीके से होने वाले ट्रांसपोर्टिंग और डंपिंग की वजह से भी काफी मात्रा में धूलकण हवा में पहुंच जा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कोयला कंपनियों द्वारा हरियाली लाने और कोयला क्षेत्र की जमीन को बचाने का दावा अब तक बहुत असरदार साबित नहीं हो रहा है।
पाण्डु मुखिया सकीबा खातून ने कहा कि इतनी धूल उड़ती है पाण्डु पंचायत में की आवागमन करने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोल कंपनी पानी का छिड़काव नहीं करती है। कंपनी गांव वालों को सीएसआर फंड से पानी भी नहीं दे रही। टैंकरों के माध्यम से एवं गांव में पौधरोपण का भी कार्य नहीं कर रही है। इस विषय को लेकर खान सुरक्षा महानिदेशालय से शिकायत करेंगे।