पूर्वी सिंहभूम। रेलवे की ओर से स्थिति संभालने के लिए कई कदम उठाए गए। 13320 रांची–दुमका एक्सप्रेस की यात्रा बराकर से शुरू कराई गई, वहीं 20887 रांची–वाराणसी वंदे भारत को बोकारो स्टील सिटी पर रोकना पड़ा। इसी तरह 20893 टाटानगर–पटना वंदे भारत मुरी में नियंत्रित की गई। 13352 अलप्पुझा–धनबाद एक्सप्रेस को रांची पर रोका गया, जबकि हटिया–पूर्णिया कोर्ट एक्सप्रेस सहित कई अन्य ट्रेनों को अलग-अलग स्टेशनों पर नियंत्रित किया गया। रेलवे ने धनबाद–इतवारी फेस्टिवल स्पेशल को रांची, बोकारो और रायपुर होकर चलाने का निर्णय लिया है। स्टेशनों पर यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा। गालूडीह, सिनी और टाटानगर स्टेशन पर हजारों यात्री फंसे रहे। कई लोगों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें समय पर सूचना नहीं दी गई। वहीं, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए वैकल्पिक प्रबंध किए जा रहे हैं। कुड़मी समाज की प्रमुख मांग है कि उन्हें झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आदिवासी (एसटी) की सूची में शामिल किया जाए और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिले। आंदोलनकारी नेताओं ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच जिला प्रशासन और रेलवे अधिकारी आंदोलनकारियों से बातचीत की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन समाधान की कोई संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है। झारखंड में शनिवार को कुड़मी समाज की ओर से किए गए रेल रोको आंदोलन का व्यापक असर देखने को मिला। आंदोलनकारियों ने पूर्वी सिंहभूम जिले के गालूडीह चंद्रपुरा रेलवे फाटक के पास हजारों की संख्या में जुटकर रेल पटरियों पर चक्का जाम कर दिया। इसके चलते रांची, टाटानगर, बोकारो और धनबाद रूट पर ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई और यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।