रांची : राज्य में संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले इंटक, बीएमएस, एटक, सीटू और एक्टू जैसे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने राज्यपाल के आदेश पर अधिसूचित न्यूनतम मजदूरी की संशोधित दर पर नियोक्ताओं के मजदूर विरोधी रवैये पर गहरा असंतोष जताया है।
इस संबंध में गुरुवार को एक संयुक्त बयान जारी कर इन केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने कहा कि परामर्शदात्री पर्षद में दो दौर की बैठकें हुईं। नियोक्ता और नियोजित पक्ष के प्रतिनिधियों ने विचार रखे। श्रम विभाग ने सार्वजनिक राय के लिए विभागीय पोर्टल में संशोधित दर का मसौदा दो महीने के लिए रखा था। इसके उपरांत ही 11 मार्च को अधिसूचना जारी की गई थी। चूंकि श्रम विभाग ने न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के सभी प्रावधानों का पालन करते हुए दरों को अधिसूचित किया है, इसलिए अब न्यूनतम मजदूरी परामर्शदात्री पर्षद के किसी भी घटक द्वारा नाराजगी जताने तथा संशोधित दर को अनुचित बताने की कोई गुंजाइश नहीं है।
हालांकि, ट्रेड यूनियनों ने न्यूनतम मजदूरी 20,500 रुपये करने की मांग रखी थी लेकिन व्यापक हित में इससे काफी कम अधिसूचित दर को मान लिया गया। श्रम विभाग के जरिए उप-समिति का गठन कर तय मसले में ढुलमुल रवैया के चलते मजदूरों के हित की अवहेलना हो रही है। संयुक्त मंच राज्य सरकार से अपील करता है कि संशोधित न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को अविलम्ब जिला श्रम विभागों को सूचित करते हुए लागू करने के लिए कारगर कदम उठाया जाए।
बयान जारी करने वालों में इंटक के अध्यक्ष राकेश्वर पांडे, बीएमएस के महासचिव राजीव रंजन सिंह, एटक के महासचिव अशोक यादव, सीटू के महासचिव विश्वजीत देव और एक्टू के महासचिव शुभेंदु सेन शामिल हैं।