कानपुर। लगातार चक्रवाती परिसंचरण के असर से कल दक्षिण-पश्चिम और निकटवर्ती पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी (बीओबी) में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना था। यह क्षेत्र अब आज सुबह से 13.7°एन और 86.9°ई के आसपास केंद्रित है। अब यह मौसम प्रणाली उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ेगी और अगले 24 घंटों में एक अवसाद (डिप्रेशन) बन जाएगी। इसके उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने और उत्तर-पूर्व व इससे सटे उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में एक गहरे अवसाद (डीप डिप्रेशन) के रूप में तीव्र होने की संभावना है। चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने शुक्रवार को बताया कि प्री-मॉनसून सीजन के पहले उष्णकटिबंधीय तूफान बनने को लेकर संख्यात्मक मॉडलों के बीच सहमति बन रही है। समुद्र के ऊपर पर्यावरणीय स्थितियां तूफान के समर्थन में हैं। समुद्र सतह का तापमान लगभग 30 डिग्री सेल्सियस है और कमजोर ऊर्ध्वाधर पवन कतरन (वर्टिकल विंड शीयर) इसके मजबूती के लिए समर्थन में है। हालांकि, ट्रैक और समयसीमा के बारे में अच्छा खासा मतभेद है। ऐसा लगता है कि चक्रवात कॉक्स बाजार के दक्षिण में म्यांमार-बांग्लादेश सीमा की ओर बढ़ सकता है। फिर भी इस प्रणाली के पश्चिम बंगाल-ओडिशा तट के पास खतरनाक रूप से आने की संभावना है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जब भी यह तूफान बनेगा, इसे ओमान द्वारा सुझाए गए नाम ‘रैमल’ से जाना जाएगा। फिलहाल अगले 48 घंटों में इस तूफान का भारतीय तट पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। अगले 24 घंटों में इस प्रणाली के ट्रैक, तीव्रता और समयसीमा के बारे में ज्यादा स्पष्टता से पता चलेगा। इन तूफानों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल और ओडिशा के तटीय क्षेत्रों के तैयार रहने की स्थिति का अनुमान लगाया गया है। क्योंकि कई अवसरों पर चक्रवाती तूफान सामान्य नियमों को तोड़ देते हैं। मौसमी मॉडल अभी अलग-अलग ट्रैक दिखा रहे हैं।