रोक के बावजूद बैंक ने रिकवरी एजेंट क्यों लगाया

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से यह बताने का निर्देश दिया है कि बैंक के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद ऋण मामले में वसूली एजेंटों की सेवाएं कैसे लीं।आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारी जसमिंदर चहल और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने कहा, “आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारी इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ थे कि वे किसी भी वसूली एजेंट को नियुक्त नहीं कर सकते और फिर भी उन्होंने वर्ष 2013 में वसूली एजेंटों की सेवाएं लीं, जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय पारित करने के छह वर्ष बाद है।”

आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड बनाम प्रकाश कौर (2007) 2 एससीसी 711 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बैंक ऋण वसूलने के लिए वसूली एजेंटों की सेवाओं का उपयोग नहीं करेगा और उन्हें कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होगा। चूंकि आईसीआईसीआई के चेयरमैन धारा 482 (उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियां) के तहत दायर याचिका में पक्षकार नहीं थे, इसलिए अदालत ने आवेदकों को उन्हें याचिका में पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी।

मामले के तथ्यों के अनुसार, राहुल सिंह नामक व्यक्ति ने ऋण लिया था और बाद में ब्याज सहित पूरी ऋण राशि का भुगतान कर दिया था। पूरा भुगतान करने के बावजूद, आईसीआईसीआई ने उसे डिफॉल्टर के रूप में दिखाया, जिसके परिणामस्वरूप वह आगे ऋण या वित्तीय सहायता प्राप्त करने में विफल रहा। इससे उसके व्यवसाय में बाधा उत्पन्न हुई।

इसके अलावा, आईसीआईसीआई ने कानपुर नगर में लोन लेने वाले के खिलाफ के एक सिविल मुकदमा दायर किया और रिकवरी एजेंटों का इस्तेमाल किया, जो प्रतिवादी (उधारकर्ता) के अनुसार उसके पैतृक घर पर तब पहुंचे जब वह अमेरिका में था। उसके अनुसार रिकवरी एजेंटों ने अपमानजनक टिप्पणी की और समाज में उसकी छवि खराब की। इसलिए, इससे परेशान होकर, प्रतिवादी- राहुल सिंह ने कानपुर नगर अदालत में एक आपराधिक शिकायत दर्ज की। इसमें आईसीआईसीआई अधिकारियों को समन जारी किया गया। इस सम्मन आदेश को आईसीआईसीआई अधिकारियों ने अपने खिलाफ चल रही पूरी कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक के चेयरमैन को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता राहुल सिंह के खिलाफ सिविल मुकदमा कैसे दायर किया गया। खासकर तब जब ब्याज और फौजदारी शुल्क सहित पूरी ऋण राशि का भुगतान कर दिया गया था। शिकायतकर्ता को क्यों परेशान किया गया। चेयरमैन को यह भी बताने का निर्देश दिया गया कि उनका बैंक अभी भी रिकवरी एजेंटों की सेवाएं कैसे ले रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से इस पर रोक लगा दी है। कोर्ट इस याचिका पर 10 जुलाई 2024 को पुनः सुनवाई करेगी।

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