कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को अचानक साल्ट लेक स्थित स्वास्थ्य भवन पहुंचीं, जहां आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए घटनाक्रम के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों ने धरना दिया है। इस धरने में शामिल डॉक्टरों को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि वह मुख्यमंत्री के रूप में नहीं बल्कि उनकी “दीदी” के रूप में आई हैं और उनकी सभी मांगों को सहानुभूतिपूर्वक सुना जाएगा। मुख्यमंत्री के साथ इस मौके पर राज्य के पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार भी मौजूद थे। ममता ने डॉक्टरों के धरनास्थल पर जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से डॉक्टरों को अपना संदेश दिया। हालांकि, जब ममता मंच पर पहुंचीं, तो धरना स्थल से नारेबाजी जारी रही और कुछ देर तक असमंजस वाली स्थिति बन गई। ममता ने डॉक्टरों से शांत रहने और उन्हें बोलने का मौका देने की अपील की।
ममता बनर्जी ने कहा, “मैं यहां अपनी सुरक्षा के निर्देशों के बावजूद आई हूं। मैं आपके आंदोलन को सलाम करती हूं। मैं खुद एक छात्र आंदोलन से निकली हूं। मैं समझ सकती हूं कि 34 दिन से धरने पर बैठे रहना कितना कठिन है। आप सड़क पर हो तो मुझे भी आपकी निगरानी करनी पड़ती है।” मुख्यमंत्री ने जूनियर डॉक्टरों से अपील की कि अगर वे काम पर लौटना चाहते हैं, तो सरकार उनकी सभी मांगों पर विचार करेगी। ममता ने कहा, “मैं अकेले सरकार नहीं चलाती। मैं सभी से सलाह-मशविरा करूंगी। अगर कोई दोषी होगा, तो उसे सजा मिलेगी। मैं सीबीआई से अनुरोध करूंगी कि दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। आप काम पर लौटिए, मैं आपको यकीन दिलाती हूं कि कोई भी गलत काम करने वाला बच नहीं पाएगा।”
ममता ने आश्वासन दिया कि अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों का पुनर्गठन किया जाएगा। उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की रोगी कल्याण समिति को तुरंत भंग कर दिया और नई समिति के गठन का वादा किया। उन्होंने कहा, “आपके घर के भाई-बहन की तरह मैं आपके साथ हूं। कोई अन्याय नहीं होगा। अगर कोई दोषी है, तो उसे सजा मिलेगी। मैं किसी की मित्र या शत्रु नहीं हूं। जो लोग मेरे मित्र कहे जा रहे हैं, मैं उन्हें जानती तक नहीं।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “सुप्रीम कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है। मैं यहां आंदोलन के प्रति सहानुभूति रखने वाली एक बड़ी बहन के रूप में आई हूं। मुझे थोड़ा समय दीजिए, सबकुछ ठीक हो जाएगा।” ममता बनर्जी ने आंदोलनरत डॉक्टरों से धरनास्थल पर परोसे जा रहे भोजन को लेकर सावधान रहने की अपील भी की। उन्होंने कहा, “आपके पास आने का मतलब यह नहीं कि मैं छोटी हो रही हूं बल्कि यह मेरा प्रयास है कि समाधान निकले। यह मेरी आखिरी कोशिश है।” इससे पहले गुरुवार को डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की मांग की थी, जिसके तहत 32 डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल नवान्न पहुंचा था। हालांकि, बैठक बेनतीजा रही, क्योंकि डॉक्टरों ने बैठक का सीधा प्रसारण करने की मांग की, जिसे सरकार ने अस्वीकार कर दिया था। अब जब सीधे मुख्यमंत्री धरना स्थल पर पहुंचकर डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की हैं तो इसका क्या कुछ असर होता है, यह देखने वाली बात होगी।