रांची। जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार इस व्रत में महिलाएं 24 घंटे या कई बार उससे भी ज्यादा समय के लिए महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं। जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 25 सितंबर की सुबह 10:41 बजे से लेकर दोपहर 12:12 मिनट तक है। 24 सितंबर को जितिया व्रत का नहाय खाय रखा जाएगा। वहीं 25 सितंबर को माताएं निर्जला व्रत रखेंगी। इसके बाद 26 को व्रत का पारण किया जाएगा। देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि मां अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना लिए 24 घंटे से भी ज्यादा निर्जला रखती हैं, जो माता इस व्रत का पालन करती हैं, इस व्रत का फल उनके बच्चे को बुरे स्थिति में बचाता है. साथ ही इस व्रत के प्रभाव से संतान को सुखों की प्राप्ति होती है। नहाए-खाए के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार जितिया व्रत विधि
जितिया व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें
फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें
फिर मिट्टी से चील और सियारिन की मूर्ति बनाएं और उनको भोग लगाएं
इसके बाद जीमूतवाहन की मूर्ति को धूपबत्ती और दीपक भी दिखाएं
फिर जितिया व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें
व्रत के बाद पारण करें। इस दिन मरुआ रोटी और नोनी साग बनाकर खाएं
पारण के बाद पूजा में इस्तेमाल किया गया तेल अपने बच्चों के सिर पर लगाएं।