उमर अब्दुल्ला क्यों नहीं लड़ना चाहते विधानसभा चुनाव

जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों की आहट महसूस की जाने लगी है जबकि कुछ नेता तो ऐसा मान रहे है कि जम्मू कश्मीर यूटी में विधानसभा चुनावों का ऐलान इसी माह के अंत में हो सकता है। लेकिन सूत्रों का मानना है कि अभी विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग द्वारा ऐलान इसी माह हो ऐसा संभव नहीं लगता है कि क्योंकि 29 जून को श्री अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है, ऐसे में यात्रा से पहले चुनाव संभव नहीं है लेकिन चुनाव आयोग अगर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाना चाहता है तो वो यात्रा के बीच संभवतः जुलाई माह में चुनावों को लेकर अधिकारिक घोषणा कर सकता है। उससे पहले चुनावों की घोषणा संभव नहीं लगती है। वहीं दूसरी तरफ नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने एक साक्षात्कार में यह कहकर सबको हैरान कर दिया है कि वो जम्मू कश्मीर यूटी में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि पार्टी के प्रत्याशियों का प्रचार जरूर करेंगे क्योंकि वो चुनाव लड़कर खुद को अपमानित नहीं करना है कि क्योंकि उनकी लड़ाई जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा वापिस दिलाने की है। ऐसे में वो यूटी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लड़कर खुद को अपमानित नहीं करना चाहते है। अलबत्ता उन्होंने राज्य का दर्जा बहाली की लड़ाई जारी रखने की बात जरूर कही। उन्होंने कहा कि अगर संभव होगा तो वो चुनाव लड़े बिना विधानसभा में जाने का रास्ता जरूर तलाशेंगे।

हालांकि उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि भाजपा यहां चुनाव करवाना ही नहीं चाहती है लेकिन उन्हें चुनाव होने की उम्मीद इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में सितंबर तक चुनाव करवाने का आदेश दिया है। इसलिए उन्हें चुनाव होने की उम्मीद है। हालांकि कुछ नेताओं का कहना है कि उमर अब्दुल्ला लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद अब फिर से चुनाव इसलिए भी नहीं लड़ना चाहते है ताकि उन्हें फिर से हार का सामना न करना पड़ जाएं लेकिन राजनीतिक जानकारों का यह मानना है कि उमर अब्दुल्ला का यह बयान काफी कुछ बयां करता है।

उमर के इस बयान में वो संकेत दे रहे है कि अगर जम्मू कश्मीर में उनकी सरकार बनी तो वो नामित सदस्य के रूप में विधानसभा में प्रवेश कर सकते है जबकि उनका यह कहना कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिले बिना वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते है यह केंद्र सरकार पर उस बात को लेकर दबाव बनाने का प्रयास है जिसमें केंद्रीय भाजपा नेताओं ने बार-बार जम्मू कश्मीर का दर्जा फिर से बहाल करने की बात कही थी। अब देखना यह होगा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों का ऐलान कब होगा और अगर होगा तो क्या केंद्र पूर्ण राज्य का दर्जा बहाली के बाद चुनाव करवाने को हरी झंडी देंगा या फिर यूटी जम्मू कश्मीर में ही चुनाव करवाकर केंद्र इस प्रदेश को अपने अधिकार में रखने का प्रयास करेगा। यह अभी तक साफ नहीं है और इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।

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